86 सूरह अत-तारिक » Surah At Tariq in Hindi
86 सूरह अत-तारिक » Surah At Tariq in Hindi
सूरह अत-तारिक » Surah At Tariq : यह सूरह मक्किय्या है, | इस में आयतें : (17) | और रुकूअ : (1) । और कलिमे : (70) | और हर्फ़ : (253) |और तरतीब इ नुज़ूल : (36) | और तरतीब इ तिलावत : (86) | पारा : (30) |
सूरह अत-तारिक » Surah At Tariq In Arabic
सूरह अत-तारिक - हिंदी में » Surah At Tariq in hindi
अ ऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम
बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम
- वस्समा - इ वत्तारिकि
- व मा अद्रा - क मत्तारिकु
- अन्नज्मुस् - साक़िब
- इन् कुल्लु नफ्सिल - लम्मा अलैहा हाफ़िज़
- फ़ल्यन्जुरिल् इन्सानु मिम् - म खुलिक़
- खुलि - क़ मिम्माइन् दाफ़िकिंय -
- - यख़्रुजु मिम् - बैनिस्सुल्बि वत्तरा - इब
- इन्नहू अला रज्अ़िही लक़ादिर
- यौ - म तुब्लस्सरा - इरु
- फ़मा लहू मिन् कुव्वतिंव् - व ला नासिर
- वस्समा - इ ज़ातिर् - रजअि
- वल्अर्ज़ि ज़ातिस्सद्अ़ि
- इन्नहू ल - कौलुन् फ़स्लुंव् -
- - व मा हु - व बिल् - हज़्लि
- इन्नहुम् यकीदू- न कैदंव् -
- व अकीदु कैदा
- फ़ - मह्हिलिल् - काफिरी - न अम्हिल्हुम् रुवैदा
सुरह अत-तारिक » हिंदी में अनुवाद
मैं अल्लाह तआला की पनाह में आता हूँ शैतान ने मरदूद से
अल्लाह के नाम से शुरू जो निहायत मेहरबान व रहम वाला | (1)
- आस्मान की कसम और रात को आने वाले की (2)
- और कुछ तुम ने जाना वोह रात को आने वाला क्या है
- ख़ूब चमक्ता तार कोई जान नहीं जिस पर निगह्बान न हो (3)
- तो चाहिये कि आदमी गौर करे कि किस चीज़ से बनाया गया (4)
- जस्त करते (उछलते हुए) पानी से (5)
- जो निकलता है पीठ और सीनों के बीच से (6)
- बेशक अल्लाह उस के वापस कर देने पर (7)
- कादिर है जिस दिन छुपी बातों की जांच होगी (8)
- तो आदमी के पास न कुछ जोर होगा न कोई मददगार' (9)
- आस्मान की क़सम जिस से मींह उतरता है (10)
- और ज़मीन की जो उस से खुलती है (11)
- बेशक कुरआन जरूर फैसले की बात है (12)
- और कोई हंसी की बात नहीं (13)
- बेशक काफिर अपना सा दाउं चलते हैं (14)
- और मैं अपनी खुफ्या तदबीर फ़रमाता हूं (15)
- तो तुम काफिरों को ढील दो (16)
- उन्हें कुछ थोड़ी मोहलत दो (17)
( तर्जुमा कंजुल ईमान हिंदी )
सूरह अत-तारिक » तशरीह हिंदी में
1 : "सूरतुत्तारिक" " سورۃ ﴚ " मक्किय्या है, इस में एक रुकूअ, सतरह आयतें, इक्सठ कलिमे, दो सो उन्तालीस हर्फ़ हैं।
2 : या'नी सितारे की जो रात को चमक्ता है। शाने नुजूल : एक शब सय्यिदे आलम صلّی اللہ تعالٰی علیہ واٰلہ وسلّم की खिदमत में अबू तालिब कुछ हदिय्या लाए, हुजूर उस को तनावुल फ़रमा रहे थे इस दरमियान में एक तारा टूटा और तमाम फ़ज़ा आग से भर गई, अबू तालिब घबरा कर कहने लगे : येह क्या है ? सय्यिदे आलम صلّی اللہ تعالٰی علیہ واٰلہ وسلّم ने फ़रमाया : येह सितारा है जिस से शयातीन मारे जाते हैं और येह कुदरते इलाही की निशानियों में से है। अबू तालिब को इस से तअज्जुब हुवा और येह सूरत नाज़िल हुई।
3 : उस के रब की तरफ से जो उस के आ माल की निगहबानी करे और उस की नेकी बदी सब लिख ले। हज़रते इब्ने अब्बास رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہُمَا ने फरमाया कि मुराद इस से फ़िरिश्ते हैं।
4 : ताकि वोह जाने कि इस का पैदा करने वाला इस को बा'दे मौत जजा के लिये जिन्दा करने पर कादिर है, पस इस को रोजे जजा के लिये अमल करना चाहिये।
5 : या'नी मर्द व औरत के नुत्फों से जो रेहम में मिल कर एक हो जाते हैं।
6 : या'नी मर्द की पुश्त से और औरत के सीने के के मकाम से । हज़रते - इब्ने अब्बास رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہُمَا ने फ़रमाया : सीने के उस मकाम से जहां हार पहना जाता है और इन्हीं से मन्कुल है कि औरत की दोनों छातियों के दरमियान से । येह भी कहा गया है कि मनी इन्सान के तमाम आ'जा से बरआमद होती है और इस का ज़ियादा हिस्सा दिमाग से मर्द की पुश्त में आता है और औरत के बदन के अगले हिस्से की बहुत सी रगों में जो सीने के मक़ाम पर हैं नाज़िल होता है, इसी लिये इन दोनों मकामों का ज़िक्र खुसूसिय्यत से फ़रमाया गया।
7 : या'नी मौत के बाद जिन्दगी की तरफ़ लौटा देने पर |
8 : छुपी बातों से मुराद अकाइद और निय्यतें और वोह आ'माल हैं जिन को आदमी छुपाता है, रोजे कियामत अल्लाह तआला उन सब को ज़ाहिर कर देगा।
9 : या'नी जो आदमी मुन्किरे बस है न उस को ऐसी कुव्वत होगी जिस से अज़ाब को रोक सके न उस का कोई ऐसा मददगार होगा जो उसे बचा सके।
10 : जो अर्जी पैदावार नबात व अश्जार के लिये मिस्ल बाप के है।
11: और नबातात के लिये मिस्ल मां के है और येह दोनों अल्लाह तआला की अजीब ने मतें हैं और इन में कुदरते इलाही के बे शुमार आसार नुमूदार हैं जिन में गौर करने से आदमी को बसे बादल मौत के बहुत से दलाइल मिलते हैं।
12 : कि हक्को बातिल में फ़र्क व इम्तियाज़ कर देता है।
13 : जो निकम्मी और बेकार हो ।
14 : और दीने इलाही के मिटाने और नूरे हक को बुझाने और सय्यिदे आलम صلّی اللہ تعالٰی علیہ واٰلہ وسلّم को ईजा पहुंचाने के लिये तरह तरह के दाउं करते हैं।
15 : जिस की उन्हें खबर नहीं |
16 : ऐ सय्यिदे अम्बिया صلّی اللہ تعالٰی علیہ واٰلہ وسلّم |
17 : चन्द रोज़ कि वोह अन्करीब हलाक किये जाएंगे। चुनान्चे ऐसा ही हुवा और बद्र में उन्हें अज़ाबे इलाही ने पकड़ा |
(Tarjuma Kanzul Iman Hindi Ala Hazrat رَضِیَ اللہُ تَعَالٰی)
Post a Comment