79 सूरह नाज़िआ़त » Surah An Nazi'at in Hindi
79 सूरह नाज़िआ़त » Surah An Nazi'at in Hindi
सूरह नाज़िआ़त » Surah Nazi'at : यह सूरह मक्किय्या है, | इस में आयतें : (46) | और रुकूअ : (2) । और कलिमे : (194) | और हर्फ़ : (776) |और तरतीब इ नुज़ूल : (81) | और तरतीब इ तिलावत : (79) | पारा : (30) |
सूरह नाज़िआ़त » Surah Nazi'at In Arabic
सूरह नाज़िआ़त - हिंदी में » Surah Nazi'at in hindi
अ ऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम
बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम
- वन्नाज़िआ़ति ग़रक़ंव् -
- - वन्नाशिताति नश्तंव् -
- - वस्साबिहाति सब्हन्
- फ़स्साबिक़ाति सब्क़न्
- फ़ल्मुदब्बिराति अम्रा •
- यौ - म तर्जुफर्राजि - फ़तु
- तत्बअुहर् - रादिफ़ह्
- कुलूबुंय् - यौमइज़िंव् - वाजि - फ़तुन्
- अब्सारुहा ख़ाशिअ़ह् •
- यकूलू - न अ- इन्ना ल - मरदूदू- न फिल् - हाफ़िरह्
- अ- इज़ा कुन्ना अिजा़मन् - नखिरह्
- का़लू तिल् - क इज़न् कर्रतुन् ख़ासिरह
- फ़ - इन्नमा हि - य ज़ज् - रतुंव - वाहि दतुन्
- फ़ - इज़ा हुम् बिस्साहिरह्
- हल् अता - क हदीसु मूसा •
- इज् नादाहु रब्बुहू बिल्वादिला - मुक़द्दसि तुवा
- इज़्हब् इला फ़िरऔ - न इन्नहू तग़ा
- फ़कुल हल् - ल - क इला अन् तज़क्का
- व अहदि - य - क इला रब्बि - क फ़ - तख़्शा
- फ - अराहुल आ - यतल् - कुब्रा
- फ़ - कज़्ज़ - ब व अ़सा
- सुम् - म अदब - र यस्आ
- फ़ - ह - श - र ,फ़नादा
- फ़का - ल अ - न रब्बुकुमुल् - अअ्ला
- फ़ - अ- ख़ ज़हुल्लाहु नकालल् आखिरति वल् - ऊला
- इन् - न फ़ी ज़ालि - क ल - अिब् - रतल् लिमंय्यख़्शा
- अ - अन्तुम् अशद्दु ख़ल्क़न् अमिस्समा - उ बनाहा
- र - फ़- अ़ सम्कहा फ़ - सव्वाहा
- व अगत - श लैलहा व अख्र - ज जुहाहा
- वल्अर् - ज़ ब - द ज़ालि - क दहाहा
- अख्र - ज मिन्हा मा - अहा व मरआ़हा
- वल् - जिबा - ल अर्साहा
- मताअ़ल् - लकुम् व लि - अन्आ़मिकुम
- फ़ - इज़ा जा - अतित् - ताम्मतुल् - कुब्रा
- यौ - म य - तज़क्करुल् - इन्सानु मा सआ़
- व बुर्रि - ज़तिल् - जहीमु लिमंय्यरा
- फ़ - अम्मा मन् तग़ा
- व आ - सरल् हयातदुन्या
- फ़ - इन्नल् - जही - म हि - यल् - मअ्वा
- व अम्मा मन् ख़ा - फ़ मका़ - म रब्बिही व नहन् - नफ् - स अ़निल् - हवा
- फ़ - इन्नल् जन्न - त हि - यल् - मअ्वा
- यस्अलू - न - क अ़निस्सा - अ़ति अय्या - न मुरसाहा
- फ़ी - म अन् - त मिन् ज़िक्राहा
- इला रब्बि - क मुन्तहाहा
- इन्नमा अन् - त मुन्ज़िरु मंय्यख़्शाहा
- क - अन्नहुम् यौ - म यरौनहा लम् यल्बसू इल्ला अ़शिय्य तन् औ जुहाहा
सुरह नाज़िआ़त » हिंदी में अनुवाद
मैं अल्लाह तआला की पनाह में आता हूँ शैतान ने मरदूद से
अल्लाह के नाम से शुरू जो निहायत मेहरबान व रहम वाला | (1)
- क़सम उन की (2)
- कि सख़्ती से जान खींचें (3)
- और नरमी से बन्द खोलें (4)
- और आसानी से पेरें (चलें) (5)
- फिर आगे बढ़ कर जल्द पहुंचे (6)
- फिर काम की तदबीर करें (7)
- कि काफ़िरों पर ज़रूर अज़ाब होगा जिस दिन थरथराएगी थरथराने वाली (8)
- उस के पीछे आएगी पीछे आने वाली (9)
- कितने दिल उस दिन धड़क्ते होंगे आंख ऊपर न उठा सकेंगे (10)
- काफ़िर (11)
- कहते हैं क्या हम फिर उलटे पाउं पलटेंगे (12)
- क्या जब गली हड्डियां हो जाएंगे (13)
- बोले यूं तो येह पलटना निरा नुक़्सान है (14)
- तो वोह (15)
- नहीं मगर एक झिड़की (16)
- जभी वोह खुले मैदान में आ पड़े होंगे (17)
- क्या तुम्हें मूसा की ख़बर आई (18)
- जब उसे उस के रब ने पाक जंगल तुवा में (19)
- निदा फ़रमाई (20)
- कि फ़िरऔ़न के पास जा उस ने सर उठाया (21)
- उस से कह क्या तुझे रग़बत इस त़रफ है कि सुथरा हो (22)
- और तुझे तेरे रब की त़रफ़ (23)
- राह बताऊँ कि तू डरे (24)
- फिर मूसा ने उसे बहुत बड़ी निशानी दिखाई (25)
- इस पर उस ने झुटलाया (26)
- और ना फ़रमानी की फिर पीठ दी (27)
- अपनी कोशिश में लगा (28)
- तो लोगों को जम्अ़ किया (29)
- फिर पुकारा फिर बोला मैं तुम्हारा सब से ऊंचा रब हूं (30)
- तो अल्लाह ने उसे दुन्या व आख़िरत दोनों के अज़ाब में पकड़ा (31)
- बेशक इस में सीख (सबक़) मिलता है उसे जो डरे (32)
- क्या तुम्हारी समझ के मुता़बिक तुम्हारा बनाना (33)
- मुश्किल या आस्मान का अल्लाह ने उसे बनाया उस की छत ऊंची की (34)
- फिर उसे ठीक किया (35)
- उस की रात अंधेरी की और उस की रोशनी चमकाई और इस के बाद ज़मीन फैलाई (36)
- उस में से (37)
- उस का पानी और चारा निकाला (38)
- और पहाड़ों को जमाया (39)
- तुम्हारे और तुम्हारे चौपायों के फा़एदे को फिर जब आएगी वोह आ़म मुसीबत सब से बड़ी (40)
- उस दिन आदमी याद करेगा जो कोशिश की थी (41)
- और जहन्नम हर देखने वाले पर जा़हिर की जाएगी (42)
- तो वोह जिस ने सरकशी की (43)
- और दुन्या की ज़िन्दगी को तरजीह दी (44)
- तो बेशक जहन्नम ही उस का ठिकाना है और वोह जो अपने रब के ह़ुज़ूर खड़े होने से डरा (45)
- और नफ़्स को ख्वाहिश से रोका (46)
- तो बेशक जन्नत ही ठिकाना है (47)
- तुम से क़ियामत को पूछते हैं कि वोह कब के लिये ठहरी हुई है तुम्हें उस के बयान से क्या तअ़ल्लुक़ (48)
- तुम्हारे रब ही तक उस की इन्तिहा है तुम तो फ़क़त़ उसे डराने वाले हो जो उस से डरे गोया जिस दिन वोह उसे देखेंगे (49)
- दुन्या में न रहे थे मगर एक शाम या उस के दिन चढ़े
( तर्जुमा कंजुल ईमान हिंदी )
सूरह नाज़िआ़त » तशरीह हिंदी में
1 : सूरए " नाज़िआ़त " " سورۃ ﴓ " मक्किय्या है, इस में दो रुकूअ़, छियालीस आयतें, एक सो सत्तानवे कलिमे, सात सो तिरपन ह़र्फ़ हैं |
2 : या'नी उन फ़िरिश्तों की |
3 : काफ़िरों की |
4 : या'नी मोमिनीन की जानें नरमी के साथ क़ब्ज़ करें ।
5 : जिस्म के अन्दर या आस्मान व ज़मीन के दरमियान मोमिनीन की रूह़ें ले कर ।
6: अपनी ख़िदमत पर, जिस के मामूर हैं । ( روح البیان )
7 : या'नी उमूरे दुन्यविय्या के इन्तिज़ाम जो उन से मुतअ़ल्लिक हैं उन के सर अन्जाम करें। येह क़सम इस पर है |
8 : ज़मीन और पहाड़ और हर चीज़ नफ्ख़ए ऊला से इज़्त़िराब में आ जाएगी और तमाम ख़ल्क़ मर जाएगी ।
9 : या'नी नफ़्ख़ए सानिया होगा जिस से हर शै बि इज़्ने इलाही ज़िन्दा कर दी जाएगी, इन दोनों नफ़्ख़ों के दरमियान चालीस साल का फ़ासिला होगा ।
10 : उस दिन के होल और दह्शत से, येह हा़ल कुफ़्फ़ार का होगा ।
11 : जो मरने के बा'द उठने के मुन्किर हैं जब उन से कहा जाता है कि तुम मरने के बा'द उठाए जाओगे तो |
12 : या'नी मौत के बा'द फिर ज़िन्दगी की त़रफ़ वापस किये जाएंगे।
13 : रेज़ा रेज़ा बिखरी हुई, फिर भी जिन्दा किये जाएंगे |
14 : या'नी अगर मौत के बा'द ज़िन्दा किया जाना सह़ीह़ है और हम मरने के बा'द उठाए गए तो इस में हमारा बड़ा नुक़्सान है क्यूं कि हम दुन्या में इस की तक्ज़ीब करते रहे, येह मक़ूला उन का बत़रीके इस्तिह्ज़ा था, इस पर उन्हें बताया गया कि तुम मरने के बाद ज़िन्दा किये जाने को येह न समझो कि अल्लाह तआ़ला के लिये कुछ दुश्वार है, क्यूं कि कादिरे बरह़क़ पर कुछ भी दुश्वार नहीं ।
15 : नफ़्ख़ए अख़ीरा ।
16 : जिस से सब जम्अ़ कर लिये जाएंगे और जब नफ़्ख़ए अख़ीरा होगा |
17 : ज़िन्दा हो कर ।
18 : येह ख़िता़ब है सय्यिदे आ़लम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہ وَ سَلَّمَ को जब क़ौम का तक्ज़ीब करना आप को शाक़ और ना गवार गुज़रा तो अल्लाह तआला ने आप की तस्कीन के लिये ह़ज़रते मूसा عَلَيْهِ ٱلسَّلَامُ का ज़िक्र फ़रमाया जिन्हों ने अपनी क़ौम से बहुत तक्लीफ़ें पाई थीं, मुराद येह है कि अम्बिया को येह बातें पेश आती रहती हैं, आप इस से ग़मगीन न हों ।
19 : जो मुल्के शाम में त़ूर के क़रीब है ।
20 : और वोह कुफ़्र व फ़साद में ह़द से गुज़र गया |
21 : कुफ़्रो शिर्क और मा'सियत व ना फ़रमानी से |
22 : या'नी उस की ज़ात व सिफ़ात की मा'रिफ़त की त़रफ़ |
23 : उस के अजा़ब से |
24 : यदे बैज़ा और अ़सा |
25 : ह़ज़रते मूसा عَلَيْهِ ٱلسَّلَامُ को |
26 : या'नी ईमान से ए'राज़ किया ।
27 : फ़साद अंगेजी़ की |
28: या'नी जादूगरों को और अपने लश्करों को |
29 : या'नी मेरे ऊपर और कोई रब नहीं ।
30 : दुन्या में ग़र्क किया और आख़िरत में दोज़ख़ में दाख़िल फ़रमाएगा ।
31 : अल्लाह तआला से । इस के बा'द मुन्किरीने बअ्स को इ़ताब फ़रमाया जाता है ।
32 : तुम्हारे मरने के बा'द
33 : बिगै़र सुतून के |
34 : ऐसा कि उस में कहीं कोई ख़लल नहीं |
35 : नूरे आफ़्ताब को जा़हिर फ़रमा कर |
36 : जो पैदा तो आस्मान से पहले फ़रमाई गई थी मगर फैलाई न गई थी ।
37 : चश्मे जारी फ़रमा कर |
38 : जिसे जानदार खाते हैं ।
39 : रूए ज़मीन पर ताकि उस को सुकून हो |
40 : या'नी नफ़्ख़ए सानिया होगा जिस में मुर्दे उठाए जाएंगे ।
41 : दुन्या में नेक या बद |
42 : और तमाम ख़ल्क़ इस को देखेगी ।
43 : हद से गुज़रा और कुफ़्र इख़्तियार किया |
44 : आख़िरत पर और शहवात का ताबेअ़ हुवा |
45 : और इस ने जाना कि इसे रोजे़ क़ियामत अपने रब के हु़ज़ूर ह़िसाब के लिये हा़ज़िर होना है |
46 : ह़राम चीज़ों की।
47 : ऐ सय्यिदे आ़लम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہ وَ سَلَّمَ ! मक्का के काफ़िर |
48 : और उस का वक़्त बताने से क्या ग़रज़ |
49 : या'नी काफ़िर क़ियामत को जिस का इन्कार करते हैं तो उस के होल व दह्शत से अपनी ज़िन्दगानी की मुद्दत भूल जाएंगे और ख़याल करेंगे कि |
(Tarjuma Kanzul Iman Hindi Ala Hazrat رَضِیَ اللہُ تَعَالٰی)
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