82 सूरह अल-इन्फ़िता़र » Surah Al Infitar in Hindi
82 सूरह अल-इन्फ़िता़र » Surah Al Infitar in Hindi
सूरह अल-इन्फ़िता़र » Surah Infitar : यह सूरह मक्किय्या है, | इस में आयतें : (19) | और रुकूअ : (1) । और कलिमे : (89) | और हर्फ़ : (331) |और तरतीब इ नुज़ूल : (82) | और तरतीब इ तिलावत : (82) | पारा : (30) |
सूरह अल-इन्फ़िता़र » Surah Infitar In Arabic
सूरह अल-इन्फ़िता़र - हिंदी में » Surah Infitar in hindi
अ ऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम
बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम
- इज़स्समा - उन् - फ़ - तरत्
- व इज़ल - कवाकिबुन् त - सरत्
- व इजल् - बिहारु फुज्जिरत्
- व इज़ल - कुबूर बुअ्सिरत्
- अलिमत् नफ़्सुम् - मा कद्द - मत् व अख़्ख - रत्
- या अय्युहल् - इन्सानु मा ग़र् - र - क बिरब्बिकल् - करीम
- अल्लज़ी ख़ - ल - क़ - क फ़ - सव्वा - क फ़ - अ - द - लक्
- फ़ी अय्यि सू- रतिम् मा शा - अ रक्क - बक्
- कल्ला बल तुकज़्ज़िबू - न बिद्दीनि
- व इन् - न अ़लैकुम् लहाफिज़ीन
- किरामन् कातिबीन
- यल्लमू - न मा तफ़अ़लून
- इन्नल् - अब्रा - र लफ़ी नअ़ीम
- व इन्नल् फुज्जा - र लफ़ी जहीम
- यस्लौनहा यौमद्दीन
- व मा हुम् अ़न्हा बिग़ा - इबीन
- व मा अद्रा - क मा यौमुद्दीन
- सुम् - म मा अदरा - क मा यौमुद्दीन
- यौ - म ला तम्लिकु नफ़्सुल - लिनफ़्सिन् शैआ , वल्अमु यौमइज़िल - लिल्लाहू
सुरह अल-इन्फ़िता़र » हिंदी में अनुवाद
मैं अल्लाह तआला की पनाह में आता हूँ शैतान ने मरदूद से
अल्लाह के नाम से शुरू जो निहायत मेहरबान व रहम वाला | (1)
- जब आस्मान फट पड़े और जब तारे झड़े पड़े और जब समुन्दर बहा दिये जाएं (2)
- और जब क़ब्रें कुरेदी जाएं (3)
- हर जान जान लेगी जो उस ने आगे भेजा (4)
- और जो पीछे (5)
- ऐ आदमी तुझे किस चीज़ ने फ़रेब दिया अपने करम वाले रब से (6)
- जिस ने तुझे पैदा किया (7)
- फिर ठीक बनाया' (8)
- फिर हमवार फरमाया (9)
- जिस सूरत में चाहा तुझे तरकीब दिया (10)
- कोई नहीं (11)
- बल्कि तुम इन्साफ़ होने को झुटलाते हो (12)
- और बेशक तुम पर कुछ निगह्बान हैं (13)
- मुअ़ज्ज़ज़ लिखने वाले (14)
- कि जानते हैं जो कुछ तुम करो (15)
- बेशक नेकोकार (16)
- ज़रूर चैन में हैं (17)
- और बेशक बदकार (18)
- जरूर दोज़ख़ में है इन्साफ़ के दिन उस में जाएंगे और उस से कहीं छुप न सकेंगे और तू क्या जाने कैसा इन्साफ़ का दिन फिर तू क्या जाने कैसा इन्साफ़ का दिन जिस दिन कोई जान किसी जान का कुछ इख़्तियार न रखेगी (19)
- और सारा हुक्म उस दिन अल्लाह का है
( तर्जुमा कंजुल ईमान हिंदी )
सूरह अल-इन्फ़िता़र » तशरीह हिंदी में
1 : सूरए "इन्फ़िता़र" " سورۃ ﴖ " मक्की है, इस में एक रुकूअ़, उन्नीस आयतें, अस्सी कलिमे, तीन सो सत्ताईस ह़र्फ़ हैं ।
2 : और शीरीं व शोर (मीठे और कड़वे) सब मिल कर एक हो जाएं ।
3 : और उन के मुर्दे ज़िन्दा कर के निकाले जाएं ।
4 : अ़मले नेक या बद |
5 : छोड़ी, नेकी या बदी और एक क़ौल येह है कि जो आगे भेजा उस से सदक़ात मुराद हैं और जो पीछे छोड़ा उस से मीरास |
6 : कि तू ने बा वुजूद उस के ने'मतो करम के उस का ह़क़ न पहचाना और उस की ना फ़रमानी की |
7 : और नेस्त से हस्त किया ।
8 : सालिमुल आ'ज़ा सुनता देखता |
9 : आज़ा में मुनासबत रखी |
10 : लम्बा या ठिंगना, ख़ूब रू, या कम रू, गोरा या काला, मर्द या औ़रत |
11 : तुम्हें अपने रब के करम पर मग़रूर न होना चाहिये |
12 : और रोज़े जज़ा के मुन्किर हो |
13 : तुम्हारे आ'माल व अ़क्वाल के और वोह फ़िरिश्ते हैं |
14 : तुम्हारे अ़मलों के |
15 : नेकी या बदी, उन से तुम्हारा कोई अ़मल छुपा नहीं।
16 : या'नी मोमिनीन सादिकुल ईमान |
17 : जन्नत में |
18 : काफ़िर ।
19 : या'नी कोई काफ़िर किसी काफ़िर को नफ़्अ न पहुंचा सकेगा । (خازن)
(Tarjuma Kanzul Iman Hindi Ala Hazrat رَضِیَ اللہُ تَعَالٰی)
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