82 सूरह अल-इन्फ़िता़र » Surah Al Infitar in Hindi

Surah Al Infitar » सूरह अल-इन्फ़िता़र : जब आस्मान फट पड़े और जब तारे झड़े पड़े और जब समुन्दर बहा दिये जाएं (2) और जब क़ब्रें कुरेदी जाएं (3)

 82 सूरह अल-इन्फ़िता़र » Surah Al Infitar in Hindi

सूरह अल-इन्फ़िता़र » Surah Infitar : यह सूरह मक्किय्या है, | इस में आयतें : (19) | और  रुकूअ : (1) । और  कलिमे : (89) | और हर्फ़ : (331) |और तरतीब इ नुज़ूल : (82) | और तरतीब इ तिलावत : (82) | पारा : (30) |

सूरह अल-इन्फ़िता़र » Surah Infitar In Arabic

بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ
اِذَا السَّمَآءُ انْفَطَرَتْۙ(۱) وَ اِذَا الْكَوَاكِبُ انْتَثَرَتْۙ(۲) وَ اِذَا الْبِحَارُ فُجِّرَتْۙ(۳) وَ اِذَا الْقُبُوْرُ بُعْثِرَتْۙ(۴) عَلِمَتْ نَفْسٌ مَّا قَدَّمَتْ وَ اَخَّرَتْؕ(۵) یٰۤاَیُّهَا الْاِنْسَانُ مَا غَرَّكَ بِرَبِّكَ الْكَرِیْمِۙ(۶) الَّذِیْ خَلَقَكَ فَسَوّٰىكَ فَعَدَلَكَۙ(۷) فِیْۤ اَیِّ صُوْرَةٍ مَّا شَآءَ رَكَّبَكَؕ(۸) كَلَّا بَلْ تُكَذِّبُوْنَ بِالدِّیْنِۙ(۹) وَ اِنَّ عَلَیْكُمْ لَحٰفِظِیْنَۙ(۱۰) كِرَامًا كَاتِبِیْنَۙ(۱۱) یَعْلَمُوْنَ مَا تَفْعَلُوْنَ(۱۲) اِنَّ الْاَبْرَارَ لَفِیْ نَعِیْمٍۚ(۱۳) وَ اِنَّ الْفُجَّارَ لَفِیْ جَحِیْمٍۚۖ(۱۴) یَّصْلَوْنَهَا یَوْمَ الدِّیْنِ(۱۵) وَ مَا هُمْ عَنْهَا بِغَآىٕبِیْنَؕ(۱۶) وَ مَاۤ اَدْرٰىكَ مَا یَوْمُ الدِّیْنِۙ(۱۷) ثُمَّ مَاۤ اَدْرٰىكَ مَا یَوْمُ الدِّیْنِؕ(۱۸) یَوْمَ لَا تَمْلِكُ نَفْسٌ لِّنَفْسٍ شَیْــٴًـاؕ-وَ الْاَمْرُ یَوْمَىٕذٍ لِّلّٰهِ۠(۱۹)

सूरह अल-इन्फ़िता़र - हिंदी में  » Surah Infitar in hindi

अ ऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम

बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम

  1. इज़स्समा - उन् - फ़ - तरत्  
  2. व इज़ल - कवाकिबुन् त - सरत् 
  3. व इजल् - बिहारु फुज्जिरत् 
  4. व इज़ल - कुबूर बुअ्सिरत् 
  5. अलिमत् नफ़्सुम् - मा कद्द - मत् व अख़्ख - रत् 
  6.  या अय्युहल् - इन्सानु मा ग़र् - र - क बिरब्बिकल् - करीम 
  7. अल्लज़ी ख़ - ल - क़ - क फ़ - सव्वा - क फ़ - अ - द - लक् 
  8. फ़ी अय्यि सू- रतिम् मा शा - अ रक्क - बक् 
  9. कल्ला बल तुकज़्ज़िबू - न बिद्दीनि 
  10. व इन् - न अ़लैकुम् लहाफिज़ीन 
  11. किरामन् कातिबीन 
  12. यल्लमू - न मा तफ़अ़लून 
  13. इन्नल् - अब्रा - र लफ़ी नअ़ीम 
  14. व इन्नल् फुज्जा - र लफ़ी जहीम 
  15. यस्लौनहा यौमद्दीन 
  16. व मा हुम् अ़न्हा बिग़ा - इबीन 
  17. व मा अद्रा - क मा यौमुद्दीन 
  18. सुम् - म मा अदरा - क मा यौमुद्दीन 
  19. यौ - म ला तम्लिकु नफ़्सुल - लिनफ़्सिन् शैआ , वल्अमु यौमइज़िल - लिल्लाहू 

सुरह अल-इन्फ़िता़र » हिंदी में अनुवाद

मैं अल्लाह तआला की पनाह में आता हूँ शैतान ने मरदूद से

अल्लाह के नाम से शुरू जो निहायत मेहरबान व रहम वाला | (1)

  • जब आस्मान फट पड़े और जब तारे झड़े पड़े और जब समुन्दर बहा दिये जाएं (2) 
  • और जब क़ब्रें कुरेदी जाएं (3)
  • हर जान जान लेगी जो उस ने आगे भेजा (4)
  • और जो पीछे (5)
  • ऐ आदमी तुझे किस चीज़ ने फ़रेब दिया अपने करम वाले रब से (6)
  • जिस ने तुझे पैदा किया (7)
  • फिर ठीक बनाया' (8)
  • फिर हमवार फरमाया (9)
  • जिस सूरत में चाहा तुझे तरकीब दिया (10)
  • कोई नहीं (11)
  • बल्कि तुम इन्साफ़ होने को झुटलाते हो (12)
  • और बेशक तुम पर कुछ निगह्बान हैं (13)
  • मुअ़ज्ज़ज़ लिखने वाले (14)
  • कि जानते हैं जो कुछ तुम करो (15)
  • बेशक नेकोकार (16) 
  • ज़रूर चैन में हैं (17) 
  • और बेशक बदकार (18)
  • जरूर दोज़ख़ में है इन्साफ़ के दिन उस में जाएंगे और उस से कहीं छुप न सकेंगे और तू क्या जाने कैसा इन्साफ़ का दिन फिर तू क्या जाने कैसा इन्साफ़ का दिन जिस दिन कोई जान किसी जान का कुछ इख़्तियार न रखेगी (19)
  • और सारा हुक्म उस दिन अल्लाह का है

( तर्जुमा कंजुल ईमान हिंदी )

सूरह अल-इन्फ़िता़र » तशरीह हिंदी में

1 : सूरए "इन्फ़िता़र" " سورۃ ﴖ " मक्की है, इस में एक रुकूअ़, उन्नीस आयतें, अस्सी कलिमे, तीन सो सत्ताईस ह़र्फ़ हैं । 

2 : और शीरीं व शोर (मीठे और कड़वे) सब मिल कर एक हो जाएं । 

3 : और उन के मुर्दे ज़िन्दा कर के निकाले जाएं । 

4 : अ़मले नेक या बद |

5 : छोड़ी, नेकी या बदी और एक क़ौल येह है कि जो आगे भेजा उस से सदक़ात मुराद हैं और जो पीछे छोड़ा उस से मीरास | 

6 : कि तू ने बा वुजूद उस के ने'मतो करम के उस का ह़क़ न पहचाना और उस की ना फ़रमानी की |

7 : और नेस्त से हस्त किया । 

8 : सालिमुल आ'ज़ा सुनता देखता |

9 : आज़ा में मुनासबत रखी |

10 : लम्बा या ठिंगना, ख़ूब रू, या कम रू, गोरा या काला, मर्द या औ़रत |

11 : तुम्हें अपने रब के करम पर मग़रूर न होना चाहिये |

12 : और रोज़े जज़ा के मुन्किर हो |

13 : तुम्हारे आ'माल व अ़क्वाल के और वोह फ़िरिश्ते हैं |

14 : तुम्हारे अ़मलों के |

15 : नेकी या बदी, उन से तुम्हारा कोई अ़मल छुपा नहीं। 

16 : या'नी मोमिनीन सादिकुल ईमान |

17 : जन्नत में |

18 : काफ़िर ।

19 : या'नी कोई काफ़िर किसी काफ़िर को नफ़्अ न पहुंचा सकेगा । (خازن)

(Tarjuma Kanzul Iman Hindi  Ala Hazrat  رَضِیَ اللہُ تَعَالٰی)

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