88 सूरह अल-गाशियह » Surah Al Ghashiyah in Hindi
88 सूरह अल-गाशियह » Surah Al Ghashiyah in Hindi
सूरह गाशियह » Surah Ghashiyah : यह सूरह मक्किय्या है, | इस में आयतें : (26) | और रुकूअ : (1) । और कलिमे : (100) | और हर्फ़ : (382) |और तरतीब इ नुज़ूल : (68) | और तरतीब इ तिलावत : (88) | पारा : (30) |
सूरह गाशियह » Surah Ghashiyah In Arabic
सूरह गाशियह - हिंदी में » Surah Ghashiyah in hindi
अ ऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम
बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम
- हल् अता - क हदीसुल् - गाशयह
- वुजूहुंय् - यौमइज़िन् ख़ाशिअह्
- आमि - लतुन् नासि - बतुन्
- तस्ला नारन् हामि - यतन्
- तुस्का मिन् अै़निन् आनियह
- लै - स लहुम् तआमुन् इल्ला मिन् ज़रीअिल्-
- - ला युस्मिनु व ला युग्नी मिन् जूंअ्
- वुजूहुंय् - यौमइज़िन् नाअ़ि - मतुल-
- लिसअ्यिहा राज़ि - यतुन्
- फ़ी जन्नतिन् आलि यतिल
- ला तस्मअु फ़ीहा लागियह्
- फ़ीहा अनुन् जारियह् •
- फीहा सुरुरुम् - मरफू अतुंव-
- - व अक्वाबुम् - मौजू- अतुंव-
- - व नमारिकु मस्फू- फ़तुंव्
- - व ज़राबिय्यु मब्सूसह
- अ- फ़ला यन्जुरू - न इलल् - इबिलि केै - फ़ खुलिकत्
- व इलस्समा - इ कै - फ़ रुफ़िअत्
- व इलल् - जिबालि कै - फ़ नुसिबत्
- व इलल् - अर्ज़ि कै - फ़ सुतिहत्
- फ़ज़क्किर, इन्नमा अन् - त मुज़क्किर
- लस् - त अलैहिम् बि - मुसैतिरिन्
- इल्ला मन् तवल्ला व क - फ़र
- फ़युअज्जिबुहुल्लाहुल् - अज़ाबल् - अक्बर
- इन् - न इलैना इया - बहुम्
- सुम् - म इन् - न अलैना हिसा - बहुम
सुरह गाशियह » हिंदी में अनुवाद
मैं अल्लाह तआला की पनाह में आता हूँ शैतान ने मरदूद से
अल्लाह के नाम से शुरू जो निहायत मेहरबान व रहम वाला |
- बेशक तुम्हारे पास (2)
- उस मुसीबत की खबर आई जो छा जाएगी (3)
- कितने ही मुंह उस दिन ज़लील होंगे काम करें मशक्कत झेलें
- जाएं भड़क्ती आग में (4)
- निहायत जलते चश्मे का पानी पिलाए जाएं उन के लिये कुछ खाना नहीं मगर आग के कांटे (5)
- कि न फर्बही लाएं और न भूक में काम दें (6)
- कितने ही मुंह उस दिन चैन में (7)
- अपनी कोशिश पर राजी (8)
- बुलन्द बाग में कि उस में कोई बेहूदा बात न सुनेंगे उस में रवां चश्मा है उस में बुलन्द तख्त हैं और चुने हुए कूजे़ (9)
- और बराबर बराबर बिछे हुऐ कालीन और फैली हुई चांदनियां (10)
- तो क्या ऊंट को नहीं देखते कैसा बनाया गया और आस्मान को कैसा ऊंचा किया गया (11)
- और पहाडों को कैसे काइम किये गए और जमीन को कैसे बिछाई गई तो तुम नसीहत सुनाओ (12)
- तुम तो येही नसीहत सुनाने वाले हो तुम कुछ उन पर कड़ोड़ा (निगह्बान) नहीं (13)
- हां जो मुंह फेरे (14)
- और कुफ्र करे (15)
- तो उसे अल्लाह बडा़ अज़ाब देगा (16)
- बेशक हमारी ही तरफ़ उन का फिरना है (17)
- फिर बेशक हमारी ही तरफ़ उन का हिसाब है
( तर्जुमा कंजुल ईमान हिंदी )
सूरह गाशियह » तशरीह हिंदी में
1 : "सूरए गाशियह" " سورۃ ﴜ " मक्किय्या है, इस में एक रुकूअ, छब्बीस आयतें, बानवे कलिमे, तीन सो इक्यासी हर्फ़ हैं।
2 : ऐ सय्यिदे आलम ! صلّی اللہ تعالٰی علیہ واٰلہ وسلّم
3 : खल्क पर । मुराद इस से कियामत है जिस के शदाइद व अह्वाल हर चीज़ पर छा जाएंगे।
4: हज़रते इब्ने अब्बास رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہُمَا ने फ़रमाया : इस से वोह लोग मुराद हैं जो दीने इस्लाम पर न थे बुत परस्त थे या किताबी काफ़िर मिस्ल राहिबों और पुजारियों के, उन्हों ने मेहनतें भी उठाई मशक्कतें भी झेलीं और नतीजा येह हुवा कि जहन्नम में गए।
5 : अज़ाब तरह तरह का होगा और जो लोग अज़ाब दिये जाएंगे उन के बहुत तब्के होंगे, बा'ज़ को जक्कूम खाने को दिया जाएगा, बा'ज़ को गिस्लीन (दोज़खियों की पीप), बा'ज़ को आग के कांटे ।
6 : या'नी उन से गिजा का नफ्अ हासिल न होगा क्यूं कि गिजा के दो ही फाएदे हैं : एक येह कि भूक की तक्लीफ़ रफ़्अ करे। दूसरे येह कि बदन को फ़र्बा करे । येह दोनों वस्फ़ जहन्नमियों के खाने में नहीं, बल्कि वोह शदीद अज़ाब है।
7 : ऐश व खुशी में और ने मत व करामत में |
8 : या'नी उस अमल व ताअत पर जो दुन्या में बजा लाए थे।
9 : चश्मे के कनारों पर । जिन के देखने से भी लज्जत | हासिल हो और जब पीना चाहें तो वोह भरे मिलें।
10 : इस सूरत में जन्नत की ने'मतों का ज़िक्र सुन कर कुफ्फार ने तअज्जुब किया और झुटलाया तो अल्लाह तआला उन्हें अपने अजाइबे सन्अत में नज़र करने की हिदायत फ़रमाता है ताकि वोह समझें कि जिस कादिरे हकीम ने दुन्या में ऐसी अजीबो गरीब चीजें पैदा की हैं उस की कुदरत से जन्नती ने मतों को पैदा फ़रमाना किस तरह काबिले तअज्जुब और लाइके इन्कार हो सकता है ? चुनान्चे इर्शाद फ़रमाता है |
11 : बिगैर सुतून के।
12 : अल्लाह तआला की ने'मतों और उस के दलाइले कुदरत बयान फरमा कर ।
13 : कि जब्र करो । या'नी येह आयत क़िताल की आयत से मन्सूख है
14 : ईमान लाने से |
15 : बा'द नसीहत के |
16 : आख़िरत में कि उसे जहन्नम में दाखिल करेगा |
17 : बा'द मौत के।
(Tarjuma Kanzul Iman Hindi Ala Hazrat رَضِیَ اللہُ تَعَالٰی)
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