85 सूरह अल-बुरूज » Surah Al Buruj in Hindi
85 सूरह अल-बुरूज » Surah Al Buruj in Hindi
सूरह बुरूज » Surah Buruj : यह सूरह मक्किय्या है, | इस में आयतें : (22) | और रुकूअ : (1) । और कलिमे : (124) | और हर्फ़ : (461) |और तरतीब इ नुज़ूल : (27) | और तरतीब इ तिलावत : (85) | पारा : (30) |
सूरह बुरूज » Surah Buruj In Arabic
सूरह बुरूज - हिंदी में » Surah Buruj in hindi
अ ऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम
बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम
- वस्समा - इ ज़ातिल् - बुरूजि
- वल्यौमिल् - मौअूदि
- व शाहिदिंव् - व मशहूद
- कुति - ल अस्हाबुल उख़दूदि -
- - न्नारि जातिल - वकूदि
- इज् हुम् अलैहा कुसूद
- व हुम् अला मा यफ़अलू - न बिल् - मुअ्मिनी - न शुहूद
- व मा न - क़मू मिन्हुम् इल्ला अंय्युअ्मिनू बिल्लाहिल् अज़ीज़िल् हमीद
- अल्लज़ी लहू मुल्कुस्समावाति वल्अर्जि, वल्लाहु अला कुल्लि शैइन् शहीद
- इन्नल्लज़ी - न फ़ - तनुल् - मुअ्मिनी - न वल् - मुमिनाति सुम् - म लम् यतूबू फ़ - लहुम् अज़ाबु जहन्न - म व लहुम् अज़ाबुल - हरीक़
- इन्नल्लज़ी - न आमनू व अमिलुस्सालिहाति लहुम् जन्नातुन् तज्री मिन् तहतिहल् - अन्हारु , ज़ालिकल् फौजुल - कबीर
- इन् - न बत् - श रब्बि - क ल - शदीद
- इन्नहू हु - व युब्दिउ व युझीद
- व हुवल् - ग़फूरुल - वदूद
- जुल्-अरशिल्-मजीद
- फ़अ्आलुल् - लिमा युरीद
- हल् अता - क हदीसुल् - जुनूद
- फिरऔ - न व समूद
- बलिल्लज़ी - न क - फ़रू फी तक्जीबिंव
- - वल्लाहु मिंव्वरा - इहिम् - मुहीत
- बल् हु - व कुरआनुम् मजीद
- फ़ी लौहिम् - मह्फूज़
सुरह बुरूज » हिंदी में अनुवाद
मैं अल्लाह तआला की पनाह में आता हूँ शैतान ने मरदूद से
अल्लाह के नाम से शुरू जो निहायत मेहरबान व रहम वाला | (1)
- क़सम आस्मान की जिस में बुर्ज हैं (2)
- और उस दिन की जिस का वादा है (3)
- और उस दिन की जो गवाह है (4)
- और उस दिन की जिस में हाजिर होते हैं (5)
- खाई वालों पर लानत हो (6)
- वोह उस भड़क्ती आग वाले जब वोह उस के कनारों पर बैठे थे (7)
- और वोह खुद गवाह हैं जो कुछ मुसल्मानों के साथ कर रहे थे (8)
- और उन्हें मुसल्मानों का क्या बुरा लगा येही ना कि वोह ईमान लाए लाइ अल्लाह इज्जत वाले सब खूबियों सराहे पर कि उसी के लिये आस्मानों और ज़मीन की सल्तनत है और अल्लाह हर चीज पर गवाह है बेशक जिन्हों ने ईजा दी मुसल्मान मर्दो और मुसल्मान औरतों (9)
- को फिर तौबा न की (10)
- उन के लिये जहन्नम का अज़ाब है(11)
- और उन के लिये आग का अजाबर (12)
- बेशक जो ईमान लाए और अच्छे काम किये उन के लिये बाग हैं जिन के नीचे नहरें रवां येही बड़ी काम्याबी है बेशक तेरे रब की गिरिफ्त बहुत सख्त है (13)
- बेशक वोह पहले करे और फिर करे (14)
- और वोही है बख्शने वाला अपन नंक बन्दों पर प्यारा अर्श का मालिक इज़्ज़त वाला हमेशा जो चाहे कर लेने वाला क्या तुम्हारे पास लश्करों की बात आई (15)
- वाह लश्कर कौन फ़िरऔ़न और समुदत (16)
- बल्कि (17)
- काफिर झुटलाने में हैं (18)
- और अल्लाह उन के पीछे से उन्हें घेरे हुए है (19)
- बल्कि वोह कमाले शरफ़ वाला कुरआन है लौहे मह्फूज़ में
( तर्जुमा कंजुल ईमान हिंदी )
सूरह अल-बुरूज » तशरीह हिंदी में
1: "सूरए बुरूज" " سورۃ ﴙ " मक्किय्या है, इस में एक रुकूअ, बाईस आयतें, एक सो नव कलिमे, चार सो पेंसठ हर्फ़ हैं।
2 : जिन की ता'दाद बारह है और इन में अजाइबे हिक्मते इलाही नमूदार हैं, आफ़्ताब महताब और कवाकिब की सैर इन में मुअ़य्यन अन्दाजे पर है जिस में इख़्तिलाफ़ नहीं होता।
3 : वोह रोजे कि़यामत है।
4: मुराद इस से रोजे जुमुआ़ है जैसा कि हदीस शरीफ़ में है।
5 : आदमी और फ़िरिश्ते, मुराद इस से रोजे अरफ़ा है।
6 : मरवी है कि पहले ज़माने में एक बादशाह था जब उस का जादूगर बूढ़ा हुवा तो उस ने बादशाह से कहा कि मेरे पास एक लड़का भेज जिसे मैं जादू सिखा दूं, बादशाह ने एक लड़का मुकर्रर कर दिया, वोह जादू सीखने लगा। राह में एक राहिब रहता था उस के पास बैठने लगा और उस का कलाम उस के दिल नशीन होता गया, अब आते जाते उस ने राहिब की सोहबत में बैठना मुकर्रर कर लिया, एक रोज़ रास्ते में एक मुहीब जानवर मिला, लड़के ने एक पथ्थर हाथ में ले कर येह दुआ की, कि या रब अगर राहिब तुझे प्यारा हो तो मेरे पथ्थर से इस जानवर को हलाक कर दे, वोह जानवर उस के पथ्थर से मर गया, इस के बाद लड़का मुस्तजाबुद्दा'वत हुवा और उस की दुआ से कोढ़ी और अन्धे अच्छे होने लगे। बादशाह का एक मुसाहिब नाबीना हो गया था वोह आया लड़के ने दुआ की वोह अच्छा हो गया और अल्लाह तआला पर ईमान ले आया और बादशाह के दरबार में पहुंचा। उस ने कहा : तुझे किस ने अच्छा किया ? कहा : मेरे रब ने । बादशाह ने कहा : मेरे सिवा और भी कोई रब है ! येह कह कर इस ने उस पर सख्तियां शुरू की यहां तक कि उस ने लड़के का पता बताया, लड़के पर सख़्तियां की, उस ने राहिब का पता बताया, राहिब पर सख्तियां की और उस से कहा अपना दीन तर्क कर । उस ने इन्कार किया तो उस के सर पर आरा रख कर चिरवा दिया, फिर मुसाहिब को भी चिरवाया दिया, फिर लड़के को हुक्म दिया कि पहाड़ की चोटी से गिरा दिया जाए। सिपाही उस को पहाड़ की चोटी पर ले गए, उस ने दुआ की, पहाड़ में जल्लला आया, सब गिर कर हलाक हो गए, लड़का सहीह सलामत चला आया । बादशाह ने कहा : सिपाही क्या हुए ? कहा : सब को खुदा ने हुलाक कर दिया। फिर बादशाह ने लड़के को समुन्दर में गर्क करने के लिये भेजा। लड़के ने दुआ की, कश्ती डूब गई, तमाम शाही आदमी डूब गए, लड़का सहीहो सलामत बादशाह के पास आ गया। बादशाह ने कहा : वोह आदमी क्या हुए ? कहा : सब को अल्लाह तआला ने हलाक कर दिया और तू मुझे कत्ल कर ही नहीं सकता जब तक वोह काम न करे जो मैं बताऊं ! कहा : वोह क्या ? लड़के ने कहा एक मैदान में सब लोगों को जम्अ़ कर और मुझे खजूर के ढुन्ड (सूखे तने) पर सूली दे, फिर मेरे तरकश से एक तीर निकाल कर " بِاسْمِ اللَّهِ رَبِّ الْغُلَامِ " कह कर मार, ऐसा करेगा तो मुझे कत्ल कर सकेगा। बादशाह ने ऐसा ही किया, तीर लड़के की कनपट्टी पर लगा, उस ने अपना हाथ उस पर रखा और वासिल बहक़ हो गया। येह देख कर तमाम लोग ईमान ले आए, इस से बादशाह को और ज़ियादा सदमा हुवा और उस ने एक खन्दक़ खुदवाई और उस में आग जलवाई और हुक्म दिया : जो दीन से न फिरे उसे इस आग में डाल दो। लोग डाले गए यहां तक कि एक औ़रत आई, उस की गोद में बच्चा था, वोह जरा झिजकी, बच्चे ने कहा : ऐ मां ! सब्र कर, न झिजक, तू सच्चे दीन पर है। वोह बच्चा और मां भी आग में डाल दिये गए। येह हदीस सहीह है, मुस्लिम ने इस की तख़्रीज की, इस से औलिया की करामतें साबित होती हैं, आयत में इस वाकिए का जिक्र है।
7 : कुरसियां बिछाए और मुसल्मानों को आग में डाल रहे थे |
8 : शाही लोग बादशाह के पास आ कर एक दूसरे के लिये गवाही देते थे कि उन्हों ने ता'मीले हुक्म में कोताही नहीं की, ईमानदारों को आग में डाल दिया । मरवी है कि जो मोमिन आग में डाले गए अल्लाह तआला ने उन के आग में पड़ने से क़ब्ल उन की रूहें कब्ज फ़रमा कर उन्हें नजात दी और आग ने ख़न्दक़ के कनारों से बाहर निकल कर कनारे पर बैठे हुए कुफ्फार को जला दिया। फाएदा : इस वाकिए में मोमिनीन को सब्र और अहले मक्का की ईज़ा रसानियों पर तहम्मुल करने की तरगीब फ़रमाई गई।
9 : आग में जला कर |
10 : और अपने कुफ्र से बाज़ न आए |
11 : आख़िरत में बदला उन के कुफ्र का |
12 : दुन्या में कि उसी आग ने उन्हें जला डाला, येह बदला है मुसल्मानों को आग में डालने का ।
13 : जब वोह ज़ालिमों को अजाब में पकड़े।
14 : या'नी पहले दुन्या में पैदा करे फिर कियामत में आ'माल की जज़ा देने के लिये मौत के बाद दोबारा जिन्दा करे।
15 : जिन को काफ़िर, अम्बिया عَلَيْهِ ٱلسَّلَام के मुका़बिल लाए।
16 : जो अपने कुफ्र के सबब हलाक किये गए ।
17 : ऐ सय्यिदे आलम ! صلّی اللہ تعالٰی علیہ واٰلہ وسلّم आप की उम्मत के।
18 : आप को और कुरआने पाक को जैसा कि पहले काफिरों का दस्तूर था |
19 : उस से उन्हें कोई बचाने वाला नहीं ।
(Tarjuma Kanzul Iman Hindi Ala Hazrat رَضِیَ اللہُ تَعَالٰی)
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