87 सूरह अल-आला » Surah Al Ala in Hindi
87 सूरह अल-आला » Surah Al Ala in Hindi
सूरह आला » Surah A'LA : यह सूरह मक्किय्या है, | इस में आयतें : (19) | और रुकूअ : (1) । और कलिमे : (82) | और हर्फ़ : (295) |और तरतीब इ नुज़ूल : (8) | और तरतीब इ तिलावत : (87) | पारा : (30) |
सूरह आला » Surah A'LA In Arabic
सूरह आला - हिंदी में » Surah A'LA in hindi
अ ऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम
बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम
- सब्बिहिस् - म रब्बिकल् - अअ्ला
- अल्लज़ी ख़ - ल - क़ फ़ - सव्वा
- वल्लज़ी कद्द - र फ़ - हदा
- वल्लज़ी अख़र - जल् - मरआ
- फ़ ज- अ - लहू गुसाअन् अह्ह्वा
- सनुक्रिउ - क फ़ला तन्सा
- इल्ला मा शा - अल्लाहु , इन्नहू यलमुल् - जह - र व मा यख़फा
- व नुयस्सिरु - क लिल्युसरा
- फ़ज़क्किर् इन् न - फ़ - अतिज् - ज़िक्रा
- स - यज़्ज़क्करु मंय्यख़्शा
- व य - तजन्नबुहल - अश्क-
- - ल्लज़ी यस्लन् - नारल् - कुब्रा
- सुम् - म ला यमूतु फ़ीहा व ला यह्या
- क़द् अफ़्ल - ह मन् तज़क्का
- व ज़- करस् - म रब्बिही फ़ - सल्ला
- बल् तुअ्सिरूनल् - हयातद् - दुन्या
- वल - आख़िरतु खैरुंव - व अब्का
- इन् - न हाज़ा लफिस् - सुहुफ़िल् - ऊला
- सुहुफि इब्राही - म व मूसा
सुरह आला » हिंदी में अनुवाद
मैं अल्लाह तआला की पनाह में आता हूँ शैतान ने मरदूद से
अल्लाह के नाम से शुरू जो निहायत मेहरबान व रहम वाला | (1)
- अपने रब के नाम की पाकी बोलो जो सब से बुलन्द है (2)
- जिस ने बना कर ठीक किया (3)
- और जिस ने अन्दाज़े पर रख कर राह दी (4)
- और जिस ने चारा निकाला फिर उसे खुश्क सियाह कर दिया अब हम तुम्हें पढ़ाएंगे कि तुम न भूलोगे (5)
- मगर जो अल्लाह चाहे (6)
- बेशक वोह जानता है हर खुले और छुपे को और हम तुम्हारे लिये आसानी का सामान कर देंगे (7)
- तो तुम नसीहत फ़रमाओ (8)
- अगर नसीहत काम दें (9)
- अन्क़रीब नसीहत मानेगा जो डरता है (10)
- और इस (11)
- से वोह बड़ा बद बख्त दूर रहेगा जो सब से बड़ी आग में जाएगा (12)
- फिर न उस में मरे (13)
- और न जिये (14)
- बेशक मुराद को पहुंचा जो सुथरा हुवा (15)
- और अपने रब का नाम ले कर (16)
- नमाज़ पढ़ी (17)
- बल्कि तुम जीती दुन्या को तरजीह देते हो (18)
- और आखि़रत बेहतर और बाकी रहने वाली बेशक येह (19)
- अगले सहीफ़ों में है (20)
- इब्राहीम और मूसा के सहीफों
( तर्जुमा कंजुल ईमान हिंदी )
सूरह आला » तशरीह हिंदी में
1 : “सूरतुल आ'ला" " سورۃ ﴛ "मक्किय्या है, इस में एक रुकूअ, उन्नीस आयतें, बहत्तर कलिमे, दो सो इकानवे हर्फ हैं।
2 : या'नी उस का ज़िक्र अजमतो एहतिराम के साथ करो । हदीस में है : जब येह आयत नाज़िल हुई सय्यिदे आलम, صلّی اللہ تعالٰی علیہ واٰلہ وسلّم ने फरमाया : इस को अपने सज्दे में दाखिल करो या'नी सज्दे में " سُبْحَانَ رَبِّيَ الأَعْلَى " कहो । (ابوداؤد)
3 : या'नी हर चीज़ की पैदाइश ऐसी मुनासिब फ़रमाई जो पैदा करने वाले के इल्मो हिक्मत पर दलालत करती है।
4 : या'नी उमूर को अज़ल में मुक़द्दर किया और उस की तरफ़ राह दी या येह मा'ना हैं कि रोज़ियां मुक़द्दर की और उन के तरीके कस्ब की राह बताई ।
5 : येह अल्लाह तआला की तरफ से अपने नबिय्ये करीम صلّی اللہ تعالٰی علیہ واٰلہ وسلّم को बिशारत है कि आप को हिफ्जे कुरआन की ने'मत बे मेहनत अता हुई और येह आप का मो'जिज़ा है कि इतनी बड़ी किताबे अजीम बिगैर मेहनतो मशक्कत और बिगैर तक्रार व दौर के आप को हिफ्ज़ हो गई |(جمل)
6 : मुफस्सिरीन ने फ़रमाया कि येह इस्तिस्ना वाकेअ न हुवा और अल्लाह तआला ने न चाहा कि आप कुछ भूलें। (جمل)
7: कि वहूय तुम्हें बे मेहनत याद रहेगी। मुफस्सिरीन का एक कौल येह है कि आसानी के सामान से शरीअते इस्लाम मुराद है जो निहायत सहल व आसान है।
8 : इस कुरआने मजीद से!|
9 : और कुछ लोग इस से मुन्तफेअ हों।
10 : अल्लाह तआला से |
11 : पन्दो नसीहत |
12 शाने नुजूल : बा'ज़ मुफस्सिरीन ने फ़रमाया कि येह आयत वलीद बिन मुगीरा और उत्बा बिन रबीआ के हक में नाज़िल हुई ।
13 : कि मर कर ही अज़ाब से छूट सके |
14 : ऐसा जीना जिस से कुछ भी आराम पाए ।
15 : ईमान ला कर या येह मा'ना हैं कि उस ने नमाज़ के लिये तहारत की, इस तक़दीर पर आयत से नमाज़ के लिये वुजू और गुस्ल साबित होता है । (تفسیر احمدی)
16 : या'नी तक्बीरे इफ्तिताह कह कर |
17 : पन्जगाना । मस्अला : इस आयत से तक्बीरे इफ्तिताह साबित हुई और येह भी साबित हुवा कि वोह नमाज़ का जुज्व नहीं है, क्यूं कि नमाज़ का इस पर अत्फ किया गया है और येह भी साबित हुवा कि इफ्तिताह नमाज़ का अल्लाह तआला के हर नाम से जाइज़ है। इस आयत की तफ्सीर में येह कहा गया है कि 5 से सदकए फित्र देना और रब का नाम लेने से ईदगाह के रास्ते में तक्बीरें कहना और नमाज़ से नमाजे ईद मुराद है। (تفسیر مدارک داحمدی)
18 : आखिरत पर । इसी लिये वोह अमल नहीं करते जो वहां काम आएं।
19 : या'नी सुथरों का मुराद को पहुंचना और आख़िरत का बेहतर होना
20 : जो कुरआने करीम से पहले नाजिल हुए |
(Tarjuma Kanzul Iman Hindi Ala Hazrat رَضِیَ اللہُ تَعَالٰی)
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