80 सूरह अ़बस » Surah Abasa in Hindi
80 सूरह अ़बस » Surah Abasa in Hindi
सूरह अ़बस » Surah Abasa : यह सूरह मक्किय्या है, | इस में आयतें : (42) | और रुकूअ : (1) । और कलिमे : (151) | और हर्फ़ : (552) |और तरतीब इ नुज़ूल : (24) | और तरतीब इ तिलावत : (80) | पारा : (30) |
सूरह अ़बस » Surah Abasa In Arabic
सूरह अ़बस - हिंदी में » Surah Abasa in hindi
अ ऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम
बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम
- अ़ - ब - स व तवल्ला
- अन् जा - अहुल् अअमा
- व मा युद्री - क ल अ़ल्लहू यज़्ज़क्का
- औ यज़्ज़क्करु फ़ - तन्फ़ - अ़हुज़्ज़िक्रा
- अम्मा मनिस्तग्ना
- फ़ - अन् - त लहू तसद्दा
- व मा अ़लै - क अ़ल्ला यज़्ज़क्का
- व अम्मा मन् जा - अ - क यसआ़
- व हु - व यख़्शा
- फ़ - अन् - त अ़न्हु त - लह्हा
- कल्ला इन्नहा तज्कि - रतुन्
- फ़ - मन् शा - अज़ - करह्
- फ़ी सुहुफ़िम् - मुकर्र - मतिम् -
- - मरफू - अ़तिम् मुतह्ह - रतिम्
- बिऐदी स - फ़ - रतिन्
- किरामिम् ब - र - रह्
- कुतिलल् - इन्सानु मा अक् - फ़रह्
- मिन् अय्यि शैइन् ख़ - लक़ह्
- मिन् नुत्फ़तिन् , ख़ - ल - क़हू फ़ - क़द्द - रहू
- सुम्मस्सबी - ल यस्स - रहू
- सुम् - म अमातहू फ़ - अक़्ब - रहू
- सुम् - म इज़ा शा - अ अन्श - रह्
- कल्ला लम्मा यक्ज़ि मा अ - मरह्
- फ़ल्यन्जुरिल् - इन्सानु इला ताआ़मिही
- अन्ना स - बब्नल् - मा - अ सब्बा
- सुम् - म शक़फ़्नल् - अर - ज़ शक़्का़
- फ़ - अम्बत्ना फ़ीहा हब्बंव् -
- -व अि - नबंव् - व क़ज़्बंव -
- - व जैतूनंव् - व नख़्लंव् -
- - व हदाइ - क गुल्बंव् -
- व फ़ाकि - हतंव् - व अब्बम् -
- - मताअ़ल् - लकुम् व लि - अन्आ़मिकुम्
- फ़ - इज़ा जा - अतिस्साख़्ख़हू
- यौ - म यफ़िर्रुल् - मरउ मिन् अख़ीहि
- व उम्मिही व अबीहि
- व साहि - बतिही व बनीह्
- लि - कुल्लिम् - रिइम् मिन्हुम् यौमइज़िन् शअनुंय् - युग्नीह
- वुजूहुंय् - यौमइज़िम् मुस्फ़ि - रतुन्
- ज़ाहि - कतुम् मुस्तब्शि - रतुन्
- व वुजूहुंय् यौमइज़िन् अ़लैहा ग़ - ब - रतुन्
- तर् - हकुहा क़ - तरह्
- उलाइ - क हुमुल्क - फ़ - रतुल् फ़- जरह्
सुरह अ़बस » हिंदी में अनुवाद
मैं अल्लाह तआला की पनाह में आता हूँ शैतान ने मरदूद से
अल्लाह के नाम से शुरू जो निहायत मेहरबान व रहम वाला | (1)
- तेवरी चढ़ाई और मुंह फेरा (2)
- इस पर कि उस के पास वोह नाबीना हा़ज़िर हुवा (3)
- और तुम्हें क्या मा'लूम शायद वोह सुथरा हो (4)
- या नसीह़त ले तो उसे नसीह़त फ़ाएदा दे वोह जो बे परवाह बनता है (5)
- तुम उस के तो पीछे पड़ते हो (6)
- और तुम्हारा कुछ ज़ियां नहीं इस में कि वोह सुथरा न हो (7)
- और वोह जो तुम्हारे हु़ज़ूर मलक्ता (नाज़ से दौड़ता हुवा) आया (8)
- और वोह डर रहा है (9)
- तो उसे छोड़ कर और तरफ़ मश्ग़ूल होते हो यूं नहीं (10)
- येह तो समझाना है (11)
- तो जो चाहे उसे याद करे (12)
- उन सह़ीफ़ों में कि इज़्ज़त वाले हैं (13)
- ऐसों के हाथ लिखे हुए जो करम वाले निकोई वाले (16)
- आदमी मारा जाइयो क्या नाशुक्र है (17)
- उसे काहे से बनाया पानी की बूंद से उसे पैदा फ़रमाया फिर उसे त़रह़ त़रह़ के अन्दाज़ों पर रखा (18)
- फिर उसे रास्ता आसान किया (19)
- - फिर उसे मौत दी फिर क़ब्र में रखवाया (20)
- फिर जब चाहा उसे बाहर निकाला (21)
- कोई नहीं उस ने अब तक पूरा न किया जो उसे हुक्म हुवा था (22)
- तो आदमी को चाहिये अपने खानों को देखे (23)
- कि हम ने अपनी त़रह़ पानी डाला (24)
- फिर ज़मीन को खूब चीरा तो उस में उगाया अनाज और अंगूर और चारा और जै़तून और खजूर और घने बाग़ीचे और मेवे और दूब (घास)
- तुम्हारे फा़यदे को और तुम्हारे चौपायों के फिर जब आएगी वोह कान फाड़ने वाली चिंघाड़ ( 25)
- उस दिन आदमी भागेगा अपने भाई और मां और बाप
- और जोरू (बीवी) और बेटों से (26)
- इन में से हर एक को उस दिन एक फिक्र है कि वोही उसे बस है (27)
- कितने मुंह उस दिन रोशन होंगे (28)
- हंसते खुशियां मनाते (29)
- और कितने मूंहों पर उस दिन गर्द पड़ी होगी उन पर सियाही चढ़ रही है (30)
- येह वोही हैं काफ़िर बदकार
( तर्जुमा कंजुल ईमान हिंदी )
सूरह अ़बस » तशरीह हिंदी में
1 : “सूरए अ़बस" " سورۃ ﴔ " मक्किय्या है, इस में एक रुकूअ़, बियालीस आयतें, एक सो तीस कलिमे, पांच सो तेंतीस ह़र्फ़ हैं।
2 : नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہ وَ سَلَّمَ ने |
3 : या'नी अ़ब्दुल्लाह बिन उम्मे मक्तूम । शाने नुज़ूल : नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہ وَ سَلَّمَ उ़त्बा बिन रबीआ़, अबू जहल बिन हिशाम और अ़ब्बास बिन अ़ब्दुल मुत्त़लिब और उबय बिन ख़लफ़ और उमय्या बिन ख़लफ़ अशराफ़े कुरैश को इस्लाम की दा'वत फ़रमा रहे थे, इस दरमियान में अ़ब्दुल्लाह बिन उम्मे मक्तूम नाबीना हा़ज़िर हुए और उन्हों ने नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہ وَ سَلَّمَ को बार बार निदा कर के अ़र्ज़ किया कि जो
अल्लाह तआ़ला ने आप को सिखाया है मुझे ता'लीम फ़रमाइये ! इब्ने उम्मे मक्तूम ने येह न समझा कि हुजूर दूसरों से गुफ़्त्गू फ़रमा रहे हैं, - इस से क़त़्ए़ कलाम होगा। येह बात हु़ज़ूरे अक्दस صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہ وَ سَلَّمَ को गिरां गुज़री और आसारे ना गवारी चेह्रए़ अक़्दस पर नुमायां हुए और हु़ज़ूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہ وَ سَلَّمَ अपनी दौलत सराए अक़्दस की त़रफ़ वापस हुए। इस पर येह आयात नाज़िल हुई। और "नाबीना" फ़रमाने ' में अ़ब्दुल्लाह बिन उम्मे मक्तूम की मा'जूरी की त़रफ़ इशारा है कि क़त्ए़ कलाम उन से इस वज्ह से वाके़अ हुवा। इस आयत के नुज़ूल के बाद सय्यिदे आ़लम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہ وَ سَلَّمَ अ़ब्दुल्लाह बिन उम्मे मक्तूम का इक्राम फ़रमाते थे।
4 : गुनाहों से । आप का इर्शाद सुन कर |
5 : अल्लाह तआ़ला से और ईमान लाने से ब सबब अपने माल के |
6 : और उस के ईमान लाने की त़मअ़ में उस के दरपै होते हो ।
7 : ईमान ला कर और हिदायत पा कर, क्यूं कि आप के ज़िम्मे दा'वत देना और पयामे इलाही पहुंचा देना है ।
8 : या'नी इब्ने उम्मे मक्तूम |
9 : अल्लाह तआ़ला से |
10 : ऐसा न कीजिये |
11 : या'नी आयाते कुरआन मख़्लूक़ के लिये नसीह़त हैं ।
12 : और उस से पन्द पज़ीर हो ।
13 : अल्लाह तआ़ला के नज़्दीक |
14 : रफ़ीउ़ल क़द्र |
15 : कि उन्हें पाकों के सिवा कोई न छूए |
16 : अल्लाह तआ़ला के फ़रमां बरदार और वोह फ़िरिश्ते हैं जो इस को लौहे मह़फूज़ से नक़्ल करते हैं ।
17 : कि अल्लाह तआ़ला की कसीर ने'मतों और बे निहायत एह़सानों के बा वुजूद कुफ़्र करता है |
18 : कभी नुत़्फा़ की शक्ल में, कभी अ़लका़ की सूरत में कभी मुज़्गा़ की शान में तक्मीले आफ़्रीनिश तक ।
19 : मां के पेट से बरआमद होने का ।
20 : कि बा'दे मौत बे इ़ज़्ज़त न हो ।
21 : या'नी बा'दे मौत हिसाब व जज़ा के लिये, फिर उस के वासिते़ ज़िन्दगानी मुक़र्रर की ।
22 : उस के रब का या'नी काफ़िर ईमान ला कर हुक्मे इलाही को बजा न लाया ।
23 : जिन्हें खाता है और जो उस की हयात का सबब हैं कि उन में उस के रब की कुदरत ज़ाहिर है, किस त़रह़ जुज़्वे बदन होते हैं और किस निजा़मे अ़जीब से काम में आते हैं और किस त़रह़ रब عَزَّوَجَلَّ अ़ता फ़रमाता है। इन हिक्मतों का बयान फ़रमाया जाता है |
24 : बादल से |
25 : या'नी क़ियामत के नफ़्ख़ए सानिया की होलनाक आवाज़ जो मख्लूक को बहरा कर देगी।
26 : इन में से किसी की त़रफ़ मुल्तफ़ित (मुतवज्जेह) न होगा अपनी ही पड़ी होगी ।
27 : क़ियामत का हाल और उस के अहवाल बयान फ़रमाने के बा'द मुकल्लफ़ीन का ज़िक्र फ़रमाया जाता है कि वोह दो क़िस्म हैं सईद और शक़ी, जो सईद हैं उन का हा़ल इर्शाद होता है |
28 : नूरे ईमान से या शब की इबादतों से या वुज़ू के आसार से |
29 : अल्लाह तआ़ला के ने'मत व करम और उस की रिज़ा पर । इस के बा'द अश्क़िया का हा़ल बयान फ़रमाया जाता है |
30 : ज़लील हा़ल वह्शत ज़दा सूरत ।
(Tarjuma Kanzul Iman Hindi Ala Hazrat رَضِیَ اللہُ تَعَالٰی)
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