99. सूरह अज़-ज़िल्ज़ाल » Surah Az Zalzalah in Hindi

अज़-ज़िल्ज़ाल » Surah Az Zilzal : यह सूरह मक्की है, इस में (8) आयतें और (1) रुकूअ है । और (39) कलिमे, (158) हर्फ़ हैं।

 99. सूरह अज़-ज़िल्ज़ाल » Surah Az Zalzalah in Hindi

अज़-ज़िल्ज़ाल » Surah Az Zilzal : यह सूरह मदनिय्या है, इस में (8) आयतें और (1) रुकूअ है । और (39) कलिमे, (158) हर्फ़ हैं।

अज़-ज़िल्ज़ाल » Surah Az-Zalzalah In Arabic

بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ
اِذَا زُلْزِلَتِ الْاَرْضُ زِلْزَالَهَاۙ(۱) وَ اَخْرَجَتِ الْاَرْضُ اَثْقَالَهَاۙ(۲) وَ قَالَ الْاِنْسَانُ مَا لَهَاۚ(۳) یَوْمَىٕذٍ تُحَدِّثُ اَخْبَارَهَاۙ(۴) بِاَنَّ رَبَّكَ اَوْحٰى لَهَاؕ(۵) یَوْمَىٕذٍ یَّصْدُرُ النَّاسُ اَشْتَاتًا ﳔ لِّیُرَوْا اَعْمَالَهُمْؕ(۶) فَمَنْ یَّعْمَلْ مِثْقَالَ ذَرَّةٍ خَیْرًا یَّرَهٗؕ(۷) وَ مَنْ یَّعْمَلْ مِثْقَالَ ذَرَّةٍ شَرًّا یَّرَهٗ۠(۸)

सूरह अज़-ज़िल्ज़ाल - सूरह ज़ल्ज़ला हिंदी में

बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम

1. इज़ा ज़ुल ज़िलतिल अरजु ज़िलज़ा लहा

2. व अख रजतिल अरजु अस्कालहा

3. वक़ालल इंसानु मा लहा

4. यौ मइजिन तुहद्दिसु अख़बा रहा

5. बि अन्न रब्बका अव्हा लहा

6. यौ मइजिय यस दुरून नासु अश्तातल लियुरौ अअमालहुम

7. फमय यअमल मिस्काला ज़र रतिन खैरै यरह

8. वमै यअमल मिस्काला ज़र्रतिन शररै यरह

सूरह अज़-ज़िल्ज़ाल » हिंदी में अनुवाद

अल्लाह के नाम से शुरूअ जो निहायत मेह्रबान रहूम वाला' |

जब ज़मीन थरथरा दी जाए जैसा उस का थरथराना ठहरा है ¦1 और जमीन अपने बोझ बाहर फेंक दें ¦2 और आदमी कहे इसे क्या हुव ¦3 उस दिन वोह अपनी ख़बरें बताएगी" ¦4 इस लिये कि तुम्हारे रब ने उसे हुक्म भेजा ¦5 उस दिन लोग अपने रब की तरफ फिरेंगे कई राह हो कर ताकि अपना किया दिखाए जाएं ¦6 तो जो एक ज़र्रा भर भलाई करे उसे देखेगा ¦7 जो एक ज़र्रा भर बुराई करे उसे देखेगा ¦8 । ( तर्जुमा कंजुल ईमान हिंदी )

सूरह अज़-ज़िल्ज़ाल » तशरीह हिंदी में

1: सूरए "اَلزِّلْزَال " जिस को "सूरए ज़ल्ज़ला" भी कहते हैं, मक्किय्या व बक़ौले मदनिय्या है। इस में एक रुकूअ, आठ आयतें,पेंतीस कलिमे और एक सो उन्तालीस हर्फ़ हैं। 2 : क़ियामत काइम होने के नज़दीक या रोज़े कियामत 3 : और ज़मीन पर कोई दरख़्त कोई इमारत कोई पहाड़ बाकी न रहे, हर चीज़ टूट फूट जाए। 4 : या'नी ख़ज़ाने और मुर्दे जो उस में हैं वोह सब निकल कर बाहर आ पड़ें 5: कि ऐसी मुज़्तरिब हुई और इतना शदीद ज़ल्ज़ला आया कि जो कुछ इस के अन्दर था सब बाहर फेंक दिया। 6 और जो नेकी बदी उस पर की गई सब बयान करेगी। हृदीस शरीफ़ में है कि हर मर्द व औरत ने जो कुछ इस पर किया उस की गवाही देगी कहेगी: फुलां रोज़ येह किया फुलां रोज़ येह। 7: कि अपनी ख़बरें बयान करे और जो अमल उस पर किये गए हैं उन की ख़बरें दे 8 : मौक़िफ़े हिसाब से 9 : कोई दह्नी तरफ से हो कर जन्नत की तरफ जाएगा कोई बाई जानिब से दोज़ख की तरफ । 10 : या'नी अपने आ' माल की जज़ा । 11 : हज़रते इब्ने अब्बास  رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہُمَا  ने फ़रमाया कि हर मोमिन व काफ़िर को रोज़े क़ियामत उस के नेक व बद आ'माल दिखाए जाएंगे, मोमिन को उस की नेकियां और बदियां दिखा कर अल्लाह तआला बदियां बख़्श देगा और नेकियों पर सवाब अता फ़रमाएगा और काफ़िर की नेकियां रद कर दी जाएंगी क्यूं कि कुफ़ के सबब अकारत हो चुकीं और बदियों पर उस को अज़ाब किया जाएगा। मुहम्मद बिन का 'ब कुरजी ने फ़रमाया कि काफ़िर ने ज़र्रा भर नेकी की होगी तो वोह उस की जज़ा दुन्या ही में देख लेगा यहां तक कि जब दुन्या से निकलेगा तो - उस के पास कोई नेकी न होगी और मोमिन अपनी बदियों की सजा दुन्या में पाएगा तो आखि़रत में उस के साथ कोई बदी न होगी। इस आयत में तरगीब है कि नेकी थोड़ी सी भी कारआमद है और तरहीब (डराना) है कि गुनाह छोटा सा भी वबाल है। बा'ज़ मुफस्सिरीन ने येह फ़रमाया है कि पहली आयत मोमिनीन के हक़ में है और पिछली कुफ़्फ़ार के । ( तर्जुमा कंजुल ईमान हिंदी )

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