91 सूरह शम्स » Surah Ash Shams in Hindi
91 सूरह शम्स » Surah Ash Shams in Hindi
सूरह शम्स » Surah Shams : यह सूरह मक्किय्या है, | इस में आयतें : (15) | और रुकूअ : (1) । और कलिमे : (69) | और हर्फ़ : (250) |और तरतीब इ नुज़ूल : (26) | और तरतीब इ तिलावत : (91) | पारा : (30) |
सूरह शम्स » Surah Shams In Arabic
सूरह शम्स - हिंदी में » Surah Shams in hindi
अ ऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम
बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम
- वश शम्सि व दुहाहा
- वल क़मरि इज़ा तलाहा
- वन नहारि इज़ा जल लाहा
- वल लैलि इज़ा यगशाहा
- वस समाइ वमा बानाहा
- वल अरदि वमा तहाहा
- व नफ्सिव वमा सव वाहा
- फ़ अल्हमाहा फुजूरहा व तक्वाहा
- क़द अफ्लहा मन ज़क्काहा
- वक़द खाबमन दस्साहा
- कज्ज़बत समूदु बितग वाहा
- इज़िम बअसा अश क़ाहा
- फ़ क़ाल लहुम रसूलुल लाहि नाक़तल लाहि व सुक्याहा
- फ़ कज्ज़बूहु फ़ अक़रूहा फ़दमदमा अलैहिम रब्बुहुम बिज़म बिहिम फ़सव्वाहा
- वला यख़ाफु उक्बाहा
सुरह शम्स » हिंदी में अनुवाद
मैं अल्लाह तआला की पनाह में आता हूँ शैतान ने मरदूद से
अल्लाह के नाम से शुरू जो निहायत मेहरबान व रहम वाला |
- (1) सूरज और उस की रोशनी की कसम और चांद की जब उस के पीछे आए |
- (2) और दिन की जब उसे चमकाए |
- (3) और रात की जब उसे छुपाए |
- (4) और आस्मान और उस के बनाने वाले की कसम और जमीन और उस के फैलाने वाले की कसम और जान की और उस की जिस ने उसे ठीक बनाया |
- (5) फिर उस की बदकारी और उस की परहेज़ गारी दिल में डाली |
- (6) बेशक मुराद को पहुंचा जिस ने उसे |
- (7) सुथरा किया |
- (8) और ना मुराद हुवा जिस ने उसे मा'सियत में छुपाया समूद ने अपनी सरकशी से झुटलाया' |
- (9) जब कि उस का सब से बद बख्ता |
- (10) उठ खड़ा हुवा तो उन से अल्लाह के रसूल |
- (11) ने फ़रमाया अल्लाह के नाका |
- (12) और उस की पीने की बारी से बचो |
- (13) तो उन्हों ने उसे झुटलाया फिर नाका की कूचें काट दी (पाउँ काट दिये) तो उन पर उन के रब ने उन के गुनाह के सबब |
- (14) तबाही डाल कर वोह बस्ती बराबर कर दी |
- (15) और उस के पीछा करने का उसे खौफ नहीं |
( तर्जुमा कंजुल ईमान हिंदी )
सूरह शम्स » तशरीह हिंदी में
1 : " सूरतु श्शम्स " سورۃ ﴟ " मक्किय्या है इस में एक रुकूअ, पन्दरह आयतें, चव्वन कलिमे, दो सो संतालीस हर्फ़ हैं।
2 : या'नी गुरूबे आफ्ताब के बाद तुलूअ करे, येह कमरी महीने के पहले पन्दरह दिन में होता है।
3 : या'नी आफ्ताब को खूब वाजेह करे क्यूं कि दिन नूरे आफ़ताब का नाम है तो जितना दिन ज़ियादा रोशन होगा उतना ही आफ़्ताब का जुहूर ज़ियादा होगा क्यूं कि असर की कुव्वत और उस का कमाल मुअस्सिर के कुव्वतो कमाल पर दलालत करता है या येह मा'ना हैं कि जब दिन दुन्या को या जमीन को रोशन करे या शब की तारीकी को दूर करे |
4 : या'नी आफ़्ताब को और आफ़ाक़ जुल्मत व तारीकी से भर जाएं या येह मा'ना कि जब रात दुन्या को छुपाए ।
5 : और कुवाए कसीरा (कसीर कुव्वते) अता फ़रमाए । (जैसे) नुत्क, सम्अ, बसर, फ़िक्र, खयाल, इल्म, फ़हम सब कुछ अता फरमाया ।
6 : खैरो शर और ताअत व मा'सियत से उसे बा खबर कर दिया और नेक व बद बता दिया ।
7 : या'नी नफ्स को |
8 : बुराइयों से ।
9 : अपने रसूल हज़रते सालेह" عَلَيْهِ ٱلسَّلَامُ "को |
10 : कुदार बिन सालिफ़ उन सब की मरज़ी से नाका की कूचें काटने के लिये |
11 : हज़रते सालेह " عَلَيْهِ ٱلسَّلَامُ " |
12 : के दरपै होने |
13 : या'नी जो दिन उस के पीने का मुकर्रर है उस रोज़ पानी में तअरुंज़ न करो ताकि तुम पर अज़ाब न आए |
14 : या'नी हज़रते सालेह" عَلَيْهِ ٱلسَّلَامُ "की तक्ज़ीब और नाका की कूचें काटने के सबब |
15 : और सब को हलाक कर दिया, उन में से कोई न बचा 16 : जैसा बादशाहों को होता है क्यूं कि वोह मालिकुल मुल्क है जो चाहे करे, किसी को मजाले दम ज़दन (कुछ कहने की ताकत) नहीं । बा'ज़ मुफस्सिरीन ने इस के माना येह भी बयान किये हैं कि हज़रते सालेह" عَلَيْهِ ٱلسَّلَامُ "को उन में से किसी का खौफ नहीं कि नुजूले अज़ाब के बाद उन्हें ईजा पहुंचा सके।
(Tarjuma Kanzul Iman Hindi Ala Hazrat رَضِیَ اللہُ تَعَالٰی)
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