94 सूरह अलम नशरह » Surah Alam Nashrah in Hindi

सूरह अलम नशरह » Surah Alam Nashrah : क्या हम ने तुम्हारे लिये सीना कुशादा न किया (2) और तुम पर से तुम्हारा वोह बोझ उतार लिया जिस ने तुम्हारी पीठ तोड़ी

94 सूरह अलम नशरह » Surah Alam Nashrah in Hindi

94 सूरह अलम नशरह » Surah Alam Nashrah in Hindi


सूरह अलम नशरह » Surah Alam Nashrah : यह सूरह मक्किय्या है, | इस में आयतें : (8) | और रुकूअ : (1) । और कलिमे : (30) | और हर्फ़ : (102) । और तरतीब इ नुज़ूल : (12) | और तरतीब इ तिलावत : (94) | पारा : (30) |

सूरह अलम नशरह » Surah Alam Nashrah In Arabic

بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ
اَلَمْ نَشْرَحْ لَكَ صَدْرَكَۙ(۱) وَ وَضَعْنَا عَنْكَ وِزْرَكَۙ(۲) الَّذِیْۤ اَنْقَضَ ظَهْرَكَۙ(۳) وَ رَفَعْنَا لَكَ ذِكْرَكَؕ(۴) فَاِنَّ مَعَ الْعُسْرِ یُسْرًاۙ(۵) اِنَّ مَعَ الْعُسْرِ یُسْرًاؕ(۶) فَاِذَا فَرَغْتَ فَانْصَبْۙ(۷) وَ اِلٰى رَبِّكَ فَارْغَبْ۠(۸)

सुरह अलम नशरह - हिंदी में

अ ऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम

बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम
  1. अलम नशरह लका सदरह
  2. व वदअना अंका विज़रक
  3. अल्लज़ी अन्क़दा ज़हरक
  4. व रफ़अना लका ज़िकरक
  5. फ़ इन्ना मअल उसरि युसरा
  6. इन्ना मअल उसरि युसरा
  7. फ़ इज़ा फरगता फंसब
  8. व इला रब्बिका फरगब

सुरह अलम नशरह » हिंदी में अनुवाद

मैं अल्लाह तआला की पनाह में आता हूँ शैतान ने मरदूद से 

 अल्लाह  के नाम से शुरू जो निहायत मेहरबान व रहम वाला | (1) 

 क्या हम ने तुम्हारे लिये सीना कुशादा न किया (2) और तुम पर से तुम्हारा वोह बोझ उतार लिया जिस ने तुम्हारी पीठ तोड़ी थी (3) और हम ने तुम्हारे लिये तुम्हारा ज़िक्र बुलन्द कर दिया (4) तो बेशक दुश्वारी के साथ आसानी है बेशक दुश्वारी के साथ और आसानी है (5) तो जब तुम नमाज़ से फ़ारिग हो तो दुआ में (6) मेहनत करो (7) और अपने रब ही की तरफ़ रगबत करो (8) | (Tarjuma Kanzul Iman Hindi Ala Hazrat رَضِیَ اللہُ تَعَالٰی)

सुरह अलम नशरह » तशरीह हिंदी में

1: "सूरए अलम नशरह" سورۃ ﴢ " मक्किय्या है, इस में एक रुकूअ, आठ आयतें और सत्ताईस कलिमे, एक सो तीन हर्फ़ हैं। 2 : या'नी हम ने आप के सीने को कुशादा और वसीअ किया हिदायतो मा'रिफ़त और मौइज़तो नुबुव्वत और इल्मो हिक्मत के लिये, यहां तक कि आलमे गैबो शहादत उस की वुस्अत में समा गए और अलाइके जिस्मानिय्या, अन्वारे रूहानिय्या के लिये मानेअ न हो सके और उलूमे लदुन्निय्या व हुक्मे इलाहिय्यह व मआरिफ़े रब्बानिय्या व हक़ाइके रहमानिय्या सीनए पाक में जल्वा नुमा हुए। और ज़ाहिरी शर्हे सद्र भी बार बार हुवा, इब्तिदाए उम्र शरीफ़ में और इब्तिदाए नुजूले वहूय के वक़्त और शबे मे'राज जैसा कि अहादीस में आया है, इस की शक्ल येह थी कि जिब्रीले अमीन ने सीनए पाक को चाक कर के कल्बे मुबारक निकाला और ज़रौं तश्त में आबे ज़मज़म से गुस्ल दिया और नूर व हिक्मत से भर कर उस को उस की जगह रख दिया । 3 : इस बोझ से मुराद या वोह गम है जो आप को कुफ्फार के ईमान न लाने से रहता था या उम्मत के गुनाहों का गम जिस में कल्बे मुबारक मश्गूल रहता था, मुराद येह है कि हम ने आप को मक्बूलुश्शफ़ाअत कर के वोह बारे गम दूर कर दिया। 4 : हदीस शरीफ़ में है : सय्यिदे आलम صلّی اللہ تعالٰی علیہ واٰلہ وسلّم ने हज़रते जिब्रील से इस आयत को दरयाफ्त फ़रमाया तो उन्हों ने कहा : अल्लाह  तआला फ़रमाता है कि आप के ज़िक्र की बुलन्दी येह है कि जब मेरा ज़िक्र किया जाए मेरे साथ आप का भी जिक्र किया जाए। हज़रते इब्ने अब्बास  رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہُمَا  फ़रमाते हैं कि मुराद इस से येह है कि अज़ान में, तक्बीर में, तशहुद में, मिम्बरों पर, खुत्बों में । तो अगर कोई अल्लाह तआला की इबादत करे हर बात में उस की तस्दीक करे और सय्यिदे आलम صلّی اللہ تعالٰی علیہ واٰلہ وسلّم की रिसालत की गवाही न दे तो येह सब बेकार, वोह काफ़िर ही रहेगा। कतादा ने कहा कि अल्लाह तआला ने आप का जिक्र दुन्या व आखिरत में बुलन्द किया, हर खतीब, हर तशहुद पढ़ने वाला, أشهد أن لا إله إلاَّ لله  के साथ أشهد أن محمد رسول الله पुकारता है। बा'ज़ मुफस्सिरीन ने फ़रमाया कि आप के ज़िक्र की बुलन्दी येह है कि अल्लाह तआला ने अम्बिया से आप पर ईमान लाने का अह्द लिया। 5 : या'नी जो शिद्दत व सख्ती कि आप कुफ्फार के मुकाबले में बरदाश्त फ़रमा रहे हैं इस के साथ ही आसानी है कि हम आप को इन पर गलबा अता फरमाएंगे। 6 : या'नी आखिरत की 7 : कि दुआ बा'दे नमाज मक़बूल होती है, इस दुआ से मुराद आखिरे नमाज़ की वोह दुआ है जो नमाज़ के अन्दर हो या वोह दुआ जो सलाम के बाद हो, इस में इख्तिलाफ़ है। 8 : उसी के फॉल के तालिब रहो और उसी पर तवक्कुल करो ।  (Tarjuma Kanzul Iman Hindi  Ala Hazrat  رَضِیَ اللہُ تَعَالٰی)

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