97. सूरह अल-कद्र » Surah Al Qadr in Hindi
97. सूरह अल-कद्र » Surah Al Qadr in Hindi
सूरह अल-कद्र » Surah Al-Qadr : यह सूरह मक्किय्या है, | इस में आयतें : (5) | और रुकूअ : (1) । और कलिमे : (97) | और हर्फ़ : (112) । और तरतीब इ नुज़ूल : (25) | और तरतीब इ तिलावत : (97) | पारा : (30) |
सूरह अल-कद्र » Surah Al Qadr In Arabic
सूरह अल-कद्र - हिंदी में
अऊजु बिल्लाहि मिनश् शैतारिनर्रजीम
बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम
- इन्ना अनज़ल नाहु फ़ी लैयलतिल कद्र
- वमा अदराका मा लैयलतुल कद्र
- लय्लतुल कदरि खैरुम मिन अल्फि शह्र
- तनज्जलुल मलाइकातु वररूहु फ़ीहा बिइज़्नि रब्बिहिम मिन कुल्लि अम्र
- सलामुन हिय हत्ता मत लइल फज्र
सूरह अल कद्र » हिंदी में अनुवाद
मैं अल्लाह तआला की पनाह में आता हूँ शैतान ने मरदूद से |
अल्लाह के नाम से शुरू जो निहायत मेहरबान व रहम वाला |
(1) बेशक हम ने इसे (2) शबे कद्र में उतारा (3) और तुम ने क्या जाना "क्या शबे कद्र, शबे कद्र हज़ार महीनों से बेहतर (4) इस में फिरिश्ते और जिब्रील उतरते (5) अपने रब के हुक्म से हर काम के लिये (6) वोह सलामती है सुब्ह चमक्ने तक (7) | तर्जुमा कंजुल ईमान हिंदी )
सूरह अल-कद्र » तशरीह हिंदी में
1 : "सूरतुल क़द्र" سورۃ ﴥ मदनिय्या व बकाले मक्किय्या है, इस में एक रुकूअ, पांच आयतें, तीस कलिमे, एक सो बारह हर्फ़ हैं। 2 : या'नी कुरआने मजीद को लौहे महफूज़ से आस्माने दुन्या की तरफ़ यकबारगी 3 : शबे क़द्र शरफ़ो बरकत वाली रात है। इस को शबे क़द्र इस लिये कहते हैं कि इस शब में साल भर के अहकाम नाफ़िज़ किये जाते हैं और मलाएका को साल भर के वज़ाइफ़ व खिदमात पर मामूर किया जाता है । येह भी कहा गया है कि इस रात की शराफ़त व क़द्र के बाइस इस को शबे क़द्र कहते हैं और येह भी मन्कूल है कि चूंकि इस शब में आ'माले सालिहा मक्बूल होते हैं और बारगाहे इलाही में उन की कद्र की जाती है इस लिये इस को शबे कद्र कहते हैं । अहादीस में इस शब की बहुत फ़ज़ीलतें वारिद हुई हैं : बुखारी व मुस्लिम की हदीस में है कि जिस ने इस रात में ईमान व इख्लास के साथ शब बेदारी कर के इबादत की अल्लाह तआला उस के साल भर के गुनाह बख्श देता है। आदमी को चाहिये कि इस शब में कसरत से इस्तिरफार करे और रात इबादत में गुज़ारे । साल भर में शबे क़द्र एक मरतबा आती है और रिवायाते कसीरा से साबित है कि वोह रमज़ानुल मुबारक के अशरए अख़ीरा में होती है और अक्सर इस की भी ताक रातों में से किसी रात में । बा'ज़ उलमा के नज़दीक रमजानुल मुबारक की सत्ताईसवीं रात शबे क़द्र होती है, येही हज़रत इमामे आ'जम رَضِیَ اللہ تَعَالٰی عَنْہُ से मरवी है। इस रात के फ़ज़ाइले अज़ीमा अगली आयतों में इर्शाद फ़रमाए जाते हैं : 4 : जो शबे कद्र से खाली हों, इस एक रात में नेक अमल करना हज़ार रातों के अमल से बेहतर है। हदीस शरीफ़ में है कि नबिय्ये करीम صلّی اللہ تعالٰی علیہ واٰلہ وسلّم.ने उममे गुज़श्ता के एक शख्स का ज़िक्र फ़रमाया जो तमाम रात इबादत करता था और तमाम दिन जिहाद में मसरूफ़ रहता था, इस तरह उस ने हज़ार महीने गुज़ारे थे, मुसल्मानों को इस से तअज्जुब हुवा तो अल्लाह तआला ने आप को शबे क़द्र अता फ़रमाई और येह आयत नाज़िल की, कि शबे कद्र हज़ार महीनों से बेहतर है। येह अल्लाह तआला का अपने हबीब पर करम है कि आप के उम्मती शबे कद्र की एक रात इबादत करें तो इन का सवाब पिछली उम्मत के हज़ार माह इबादत करने वालों से ज़ियादा हो । 5 : ज़मीन की तरफ़, और जो बन्दा खड़ा या बैठा यादे इलाही में मश्गूल होता है उस को सलाम करते हैं और उस के हक़ में दुआ व इस्तिरफार करते हैं। 6 : जो अल्लाह तआला ने इस साल के लिये मुक़द्दर फ़रमाया। 7: बलाओं और आफ्तों से। ( तर्जुमा कंजुल ईमान हिंदी )
सूरह अल-कद्र » Surah Al Qadr Image
1 comment
You will enjoy Tritanium Bingo, a magnificent titanium rings for women Tritanium Bingo that incorporates a crown of gold on your neck titanium 4000 and a glass titanium watch of silver t fal titanium on the crown. titanium money clip