90 सूरह अल-बलद » Surah Al-Balad in Hindi
90 सूरह अल-बलद » Surah Al-Balad in Hindi
सूरह बलद » Surah Balad : यह सूरह मक्किय्या है, | इस में आयतें : (20) | और रुकूअ : (1) । और कलिमे : (92) | और हर्फ़ : (337) |और तरतीब इ नुज़ूल : (35) | और तरतीब इ तिलावत : (90) | पारा : (30) |
सूरह बलद » Surah Balad In Arabic
सूरह बलद - हिंदी में » Surah Balad in hindi
अ ऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम
बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम
- ला उक्सिमु बिहाज़ल बलद
- व अंत हिल्लुम बिहाज़ल बलद
- व वालिदिव वमा वलद
- लक़द खलक्नल इन्सान फ़ी कबद
- अयह सबु अल लैय यक्दिरा अलैहि अहद
- यक़ूलु अहलकतु मालल लु बदा
- अयह्सबू अल लम य रहू अहद
- अलम नज अल लहू ऐनैन
- व लिसानव व शफतैन
- व हदैनाहून नज्दैन
- फलक तहमल अ क़बह
- वमा अद राका मल अ क़बह
- फक्कु र क़बह
- अव इत आमून फ़ी यौमिन ज़ी मस्गबह
- यतीमन ज़ा मक़ रबह
- अव मिस्कीनन ज़ा मतरबह
- सुम्मा कान मिनल लज़ीना आमनू व वतवा सौ बिस सबरि व तवा सौ बिल मर हमह
- उलाइका अस हाबुल मैमनह
- वल लज़ीना कफरू बि आयातिना हुम असहाबुल मश अमह
- अलैहिम नारुम मुअ सदह
सुरह बलद » हिंदी में अनुवाद
मैं अल्लाह तआला की पनाह में आता हूँ शैतान ने मरदूद से
अल्लाह के नाम से शुरू जो निहायत मेहरबान व रहम वाला |
- (1) मुझे इस शहर की कसम
- (2) कि ऐ महबूब तुम इस शहर में तशरीफ़ फ़रमा हो
- (3) और तुम्हारे बाप इब्राहीम की कसम और उस की औलाद की कि तुम हो'
- (4) बेशक हम ने आदमी को मशक्कत में रहता पैदा किया
- (5) क्या आदमी येह समझता है कि हरगिज़ उस पर कोई कुदरत नहीं पाएगा
- (5) कहता है मैं ने ढेरों माल फना कर दिया (7) क्या आदमी येह समझता है कि उसे किसी ने न देखा
- (8) क्या हम ने उस की दो आंखें न बनाई
- (9) और ज़बान
- (10) और दो होंट
- (11) और उसे दो उभरी चीजों की राह बताई
- (12) फिर बे तअम्मुल घाटी में न कूदा
- (13) और तू ने क्या जाना वोह घाटी क्या है
- (14) किसी बन्दे की गरदन छुड़ाना
- (15) या भूक के दिन खाना देना
- (16) रिश्तेदार यतीम को या खाक नशीन मिस्कीन को
- (17) फिर हुवा उन से जो ईमान लाए
- (18) और उन्हों ने आपस में सब्र की वसिय्यतें की
- (19) और आपस में मेहरबानी की वसिय्यते की
- (20) येह दहनी तरफ़ वाले हैं
- (21) और जिन्हों ने हमारी आयतों से कुफ्र किया वोह बाई तरफ़ वाले
- (22) उन पर आग है कि उस में डाल कर ऊपर से बन्द कर दी गई
( तर्जुमा कंजुल ईमान हिंदी )
सूरह बलद » तशरीह हिंदी में
1: सूरए बलद " سورۃ ﴞ " मक्किय्या है, इस में एक रुकूअ, बीस आयतें, बियासी कलिमे, तीन सो बीस हर्फ हैं।
2: या'नी मक्कए मुकर्रमा की |
3 : इस आयत से मा'लूम हुवा कि येह अज़मत मक्कए मुकर्रमा को सय्यिदे आलम " صلّی اللہ تعالٰی علیہ واٰلہ وسلّم " की रौनक अफ़ोज़ी की बदौलत हासिल हुई।
4 : एक कौल येह भी है कि वालिद से सय्यिदे आलम " صلّی اللہ تعالٰی علیہ واٰلہ وسلّم " और औलाद से आप की उम्मत मुराद है। (حسيني)
5: कि हम्ल में एक तंगो तारीक मकान में रहे, विलादत के वक्त तक्लीफ़ उठाए, दूध पीने दूध छोड़ने कस्बे मआश और हयात व मौत की मशक्कतों को बरदाश्त कर ले।
6 : येह आयत अबुल अशद उसैद बिन किल्दा के हक में नाज़िल हुई, वोह निहायत कवी और ज़ोर आवर था और उस की ताकत का येह आलम था कि चमड़ा पाउं के नीचे दबा लेता था दस दस आदमी उस को खींचते और वोह फट कर टुकड़े टुकड़े हो जाता मगर जितना उस के पाउं के नीचे होता हरगिज़ न निकल सकता और एक कौल येह है कि येह आयत वलीद बिन मुगीरा के हक़ में नाज़िल हुई। माना येह हैं कि येह काफ़िर अपनी कुव्वत पर मगरूर मुसल्मानों को कमजोर समझता है। किस गुमान में है ! अल्लाह कादिरे बरहक़ की कुदरत को नहीं जानता ! इस के बाद उस का मकूला नक्ल फ़रमाया :
7 : सय्यिदे आलम " صلّی اللہ تعالٰی علیہ واٰلہ وسلّم " की अदावत में लोगों को रिश्वतें दे दे कर ताकि हुजूर को आज़ार पहुंचाएं ।
8 : या'नी क्या उस का येह गुमान है कि उसे अल्लाह तआला ने नहीं देखा और अल्लाह तआला उस से नहीं सुवाल करेगा कि उस ने येह माल कहां से हासिल किया किस काम में खर्च किया। इस के बाद अल्लाह तआला अपनी ने मतों का ज़िक्र फ़रमाता है ताकि उस को इब्रत हासिल करने का मौका मिले |
9 : जिन से देखता है |
10 : जिस से बोलता है और अपने दिल की बात बयान में लाता है |
11 : जिन से मुंह को बन्द करता है और बात करने और खाने और पीने और फूंकने में उन से काम लेता है |
12 : या'नी छातियों की कि पैदा होने के बाद उन से दूध पीता और गिजा हासिल करता रहा । मुराद येह है कि अल्लाह तआला की ने'मते जाहिर व वाफ़िर हैं, उन का शुक्र लाज़िम ।
13 : या'नी आ'माले सालिहा बजा ला कर इन जलील ने मतों का शुक्रा अदा न किया, इस को घाटी में कूदने से ता' बीर फ़रमाया इस मुनासबत से कि इस राह में चलना नफ्स पर शाक है। (ابوالسعوو)
14 : और उस में कूदना क्या, या'नी इस से इस के जाहिरी मा'ना मुराद नहीं बल्कि इस की तफ्सीर वोह है जो अगली आयतों में इर्शाद होती है।
15 : गुलामी से । ख्वाह इस तरह हो कि किसी गुलाम को आज़ाद कर दे या इस तरह कि मुकातब को इतना माल दे जिस से वोह आज़ादी हासिल कर सके या किसी गुलाम को आजाद कराने में मदद करे या किसी असीर या मयून के रिहा कराने में इआनत करे और येह मा'ना भी हो सकते हैं कि आ'माले सालिहा इख़्तियार कर के अपनी गरदन अज़ाबे आखिरत से छुड़ाए । (روح البیان)
16 : या'नी कहूत व गिरानी के वक्त कि इस वक्त माल निकालना नफ्स पर बहुत शाक़ और अजे अज़ीम का मूजिब होता है ।
17 : जो निहायत तंगदस्त और दरमांदा (नाचार), न उस के पास ओढ़ने को हो न बिछाने को। हदीस शरीफ़ में है : यतीमों और मिस्कीनों की मदद करने वाला जिहाद में सई करने वाले और बे तकान शब बेदारी करने वाले और मुदाम (पाबन्दी के साथ) रोज़ा रखने वाले की मिस्ल है।
18 : या'नी येह तमाम अमल जब मक्बूल हैं कि अमल करने वाला ईमानदार हो और जब ही उस को कहा जाएगा कि घाटी में कूदा और अगर ईमानदार नहीं तो कुछ नहीं सब अमल बेकार ।
19 : मासियतों से बाज़ रहने और ताअतों के बजा लाने और उन मशक्कतों के बरदाश्त करने पर जिन में मोमिन मुब्तला हो ।
20 : कि मोमिनीन एक दूसरे के साथ शफ्कतो महब्बत का बरताव करें ।
21 : जिन्हें उन के नामए आ'माल दाह्ने हाथ में दिये जाएंगे और अर्श के दाहने जानिब से जन्नत में दाखिल होंगे। 22 : कि उन्हें उन के नामए आ'माल बाएं हाथ में दिये जाएंगे और अर्श के बाई जानिब से जहन्नम में दाखिल किये जाएंगे।
23 : कि न उस में बाहर से हवा आ सके न अन्दर से धूआं बाहर जा सके।
(Tarjuma Kanzul Iman Hindi Ala Hazrat رَضِیَ اللہُ تَعَالٰی)
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