101. सूरह अल क़ारिअह » Surah Al-Qari'ah in Hindi

सूरह अल क़ारिअह » Surah Al-Qari'ah : यह सूरह मक्की है, इस में (11) आयतें और (1) रुकूअ है । और (39) कलिमे, (160) हर्फ़ हैं।

 101. सूरह अल क़ारिअह » Surah Al-Qari'ah in Hindi

सूरह अल क़ारिअह » Surah Al-Qari'ah : यह सूरह मक्की है, इस में (11) आयतें और (1) रुकूअ है । और (39) कलिमे, (160) हर्फ़ हैं।

सूरह अल क़ारिअह » Surah Al-Qari'ah In Arabic

بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ
اَلْقَارِعَةُۙ(۱) مَا الْقَارِعَةُۚ(۲) وَ مَاۤ اَدْرٰىكَ مَا الْقَارِعَةُؕ(۳) یَوْمَ یَكُوْنُ النَّاسُ كَالْفَرَاشِ الْمَبْثُوْثِۙ(۴) وَ تَكُوْنُ الْجِبَالُ كَالْعِهْنِ الْمَنْفُوْشِؕ(۵) فَاَمَّا مَنْ ثَقُلَتْ مَوَازِیْنُهٗۙ(۶) فَهُوَ فِیْ عِیْشَةٍ رَّاضِیَةٍؕ(۷) وَ اَمَّا مَنْ خَفَّتْ مَوَازِیْنُهٗۙ(۸) فَاُمُّهٗ هَاوِیَةٌؕ(۹) وَ مَاۤ اَدْرٰىكَ مَاهِیَهْؕ(۱۰) نَارٌ حَامِیَةٌ۠(۱۱)

सूरह अल क़ारिअह  हिंदी में

बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम

1. अल क़ारिअह

2. मल क़ारिअह

3. वमा अदराक मल क़ारिअह

4. यौमा यकूनुन नासु कल फ़राशिल मब्सूस

5. व तकूनुल जिबालु कल इहनिल मन्फूश

6. फ़ अम्मा मन सकुलत मवाज़ीनुह

7. फ़हुवा फ़ी ईशतिर राज़ियह

8. व अम्मा मन खफ्फत मवाज़ीनुह

9. फ़ उम्मुहू हावियह

10. वमा अदराक मा हियह

11. नारून हामियह

सूरह अल क़ारिअह » हिंदी में अनुवाद

अल्लाह के नाम से शुरूअ जो निहायत मेह्रबान रहूम वाला' |1

दिल दहलाने वाली क्या वोह दहलाने वाली और तू ने क्या जाना क्या है दहलाने वाली ' |2 जिस दिन आदमी होंगे जैसे फैले पतंगे |3 और पहाड़ होंगे जैसे धुन्की (धुनी हुई)ऊन |4 तो जिस की तोलें भारी हुई | 5 वोह तो मन मानते ऐश में हैं |6 और जिस की तोलें हलकी पड़ीं |7 वोह नीचा दिखाने वाली गोद में है |8 और तू ने क्या जाना क्या नीचा दिखाने वाली एक आग शो'ले मारती | 9 ( तर्जुमा कंजुल ईमान हिंदी )

सूरह अल क़ारिअह » तशरीह हिंदी में

10 : या'नी रोज़े कियामत जो फैसले का दिन है। 11 : जैसी कि हमेशा है, तो उन्हें आ' माले नेक व बद का बदला देगा। 1: सूरए "अल कारिअह" मक्किय्या है। इस में एक रुकूअ, आठ आयतें, छत्तीस कलिमे, एक सो बावन हर्फ़ हैं। 2: मुराद इस से कियामत है जिस की होल व हैबत से दिल दहलेंगे और "कारिअह" कियामत के नामों से एक नाम है। 3 : या'नी जिस तरह पतंगे शो'ले पर गिरने के वक्त मुन्तशिर होते हैं और उन के लिये कोई एक जिहत मुअय्यन नहीं होती हर एक दूसरे के ख़िलाफ़ जिहत से जाता है, येही हाल रोजे कियामत खल्क के इन्तिशार का होगा। 4 : जिस के अज्जा मुतफ़र्रिक हो कर उड़ते हैं, येही हाल क़ियामत के होल व दहशत से पहाड़ों का होगा। 5 : और वज़्न दार अमल या'नी नेकियां जियादा हुई 6 : या'नी जन्नत में। मोमिन की नेकियां अच्छी सूरत में ला कर मीज़ान में रखी जाएंगी तो अगर वोह गालिब हुई तो उस के लिये जन्नत है और काफ़िर की बुराइयां बद तरीन सूरत में ला कर मीज़ान में रखी जाएंगी और तोल हलकी पड़ेगी क्यूं कि कुफ्फ़ार के आ' माल बातिल हैं, उन का कुछ वज़्न नहीं, तो उन्हें जहन्नम में दाखिल किया जाएगा। 7: ब सबब इस के कि वोह बातिल का इत्तिबाआ करता था 8 : या'नी उस का मस्कन आतशे दोज़ख़ है। 9 : जिस में इन्तिहा की सोज़िश व तेज़ी है। अल्लाह तआला उस से पनाह में रखे।

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