96. सूरह अल-अलक » Surah Al-'Alaq in Hind

पढ़ो अपने रब के नाम से (2) जिस ने पैदा किया (3) आदमी को खून की फटक से बनाया पढ़ो (5) और तुम्हारा रब ही सब से बड़ा करीम जिस ने कलम से लिखना सिखाया

 96. सूरह अल-अलक » Surah Al-'Alaq in Hindi

सूरह अल-अलक » Surah Al-Alaq : यह सूरह मक्किय्या है, | इस में आयतें : (19) | और  रुकूअ : (1) । और  कलिमे : (76) | और हर्फ़ : (288) । और तरतीब इ नुज़ूल : (1) | और तरतीब इ तिलावत : (96) | पारा : (30) |

सूरह अल-अलक » Surah Al Alaq In Arabic

بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ
اِقْرَاْ بِاسْمِ رَبِّكَ الَّذِیْ خَلَقَۚ(۱) خَلَقَ الْاِنْسَانَ مِنْ عَلَقٍۚ(۲) اِقْرَاْ وَ رَبُّكَ الْاَكْرَمُۙ(۳) الَّذِیْ عَلَّمَ بِالْقَلَمِۙ(۴) عَلَّمَ الْاِنْسَانَ مَا لَمْ یَعْلَمْؕ(۵) كَلَّاۤ اِنَّ الْاِنْسَانَ لَیَطْغٰۤىۙ(۶) اَنْ رَّاٰهُ اسْتَغْنٰىؕ(۷) اِنَّ اِلٰى رَبِّكَ الرُّجْعٰىؕ(۸) اَرَءَیْتَ الَّذِیْ یَنْهٰىۙ(۹) عَبْدًا اِذَا صَلّٰىؕ(۱۰) اَرَءَیْتَ اِنْ كَانَ عَلَى الْهُدٰۤىۙ(۱۱) اَوْ اَمَرَ بِالتَّقْوٰىؕ(۱۲) اَرَءَیْتَ اِنْ كَذَّبَ وَ تَوَلّٰىؕ(۱۳) اَلَمْ یَعْلَمْ بِاَنَّ اللّٰهَ یَرٰىؕ(۱۴) كَلَّا لَىٕنْ لَّمْ یَنْتَهِ ﳔ لَنَسْفَعًۢا بِالنَّاصِیَةِۙ(۱۵) نَاصِیَةٍ كَاذِبَةٍ خَاطِئَةٍۚ(۱۶) فَلْیَدْعُ نَادِیَهٗۙ(۱۷) سَنَدْعُ الزَّبَانِیَةَۙ(۱۸) كَلَّاؕ-لَا تُطِعْهُ وَ اسْجُدْ وَ اقْتَرِبْ۠۩(۱۹)

सूरह अल-अलक - हिंदी में

अऊजु बिल्लाहि मिनश् शैतारिनर्रजीम 

बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम

  1. इक़रअ बिस्मि रब्बिकल लज़ी खलक
  2. खलाक़ल इंसाना मिन अलक़
  3. इक़रअ व रब्बुकल अकरम
  4. अल्लज़ी अल्लमा बिल क़लम
  5. अल्लमल इंसान मालम यअ’लम
  6. कल्ला इन्नल इंसाना लयत्गा
  7. अर रआहुस तग्ना
  8. इन्ना इला रब्बिकर रुज आ
  9. अरा अय्तल लज़ी यन्हा
  10. अब्दन इज़ा सल्ला
  11. अरा अयता इन काना अलल हुदा
  12. अव अमरा बित तक्वा
  13. अरा ऐता इन कज्ज़बा व तवल्ला
  14. अलम यअलम बिअन्नल लाहा यरा
  15. कल्ला लइल लम यन्तहि लनस फ़अम बिन नासियह
  16. नासियतिन काज़िबतिन खातिअह
  17. फ़ल यद्उ नादियह
  18. सनद उज़ ज़बानियह
  19. कल्ला ला तुतिअहु वस्जुद वकतरिब

सूरह अल अलक » हिंदी में अनुवाद

मैं अल्लाह तआला की पनाह में आता हूँ शैतान ने मरदूद से

अल्लाह के नाम से शुरू जो निहायत मेहरबान व रहम वाला | (1) 

पढ़ो अपने रब के नाम से (2) जिस ने पैदा किया (3) आदमी को खून की फटक से बनाया पढ़ो (5) और तुम्हारा रब ही सब से बड़ा करीम जिस ने कलम से लिखना सिखाया (5) आदमी को सिखाया जो न जानता था (6)  हां हां बेशक आदमी सरकशी करता है  इस पर कि अपने आप को गनी समझ लिया (7) बेशक तुम्हारे रब ही की तरफ़ फिरना है (8) भला देखो तो जो मन्अ करता है बन्दे को जब वोह नमाज पढ़े (9) भला देखो तो अगर वोह हिदायत पर होता या परहेज़ गारी बताता तो क्या खूब था भला देखो तो अगर झुटलाया (10) और मुंह फेरा (11) तो क्या हाल होगा क्या न जाना (12) कि अल्लाह देख रहा है (13) हां हां अगर बाज़ न आया (14) तो हम ज़रूर पेशानी के बाल पकड़ कर खींचेंगे (15) कैसी पेशानी झूटी खताकार अब पुकारे अपनी मजलिस को (16) अभी हम सिपाहियों को बुलाते हैं (17) हां हां उस की न सुनो और सज्दा करो (18) और हम से करीब हो जाओ | ( तर्जुमा कंजुल ईमान हिंदी )

सूरह अल-अलक » तशरीह हिंदी में

1 : "सूरए इक़रअ" سورۃ ﴤ  इस को "सूरए अलक" भी कहते हैं। येह सूरत मक्किय्या है, इस में एक रुकूअ, उन्नीस आयतें, बानवे कलिमे, दो सो अस्सी हर्फ हैं। शाने नुजूल : अक्सर मुफस्सिरीन के नज़दीक येह सूरत सब से पहले नाजिल हुई और इस की पहली पांच आयतें "  مَا لَمْ یَعْلَمْؕ " तक गारे हिरा में नाज़िल हुई । फ़िरिश्ते ने आ कर हज़रते सय्यदे आलम  صلّی اللہ تعالٰی علیہ واٰلہ وسلّم. से अर्ज किया : اِقْرَاْ " या'नी पढ़िये ! फ़रमाया : हम पढ़े नहीं । उस ने सीने से लगा कर बहुत ज़ोर से दबाया, फिर छोड़ कर اِقْرَاْ " कहा, फिर आप ने वोही जवाब दिया, तीन मरतबा ऐसा ही हुवा फिर उस के साथ साथ आप ने "  مَا لَمْ یَعْلَمْؕ " तक पढ़ा। 2 : यानी किराअत की इब्तिदा अदबन अल्लाह तआला के नाम से हो । इस तक़दीर पर आयत से साबित होता है कि किराअत की इब्तिदा بِسْمِ اللّٰه " के साथ मुस्तहब है। 3 : तमाम खल्क को 4:दोबारा पढ़ने का हुक्म ताकीद के लिये है और यह भी कहा गया है कि दोबारा किराअत के हुक्म से येह है कि तब्लीग और उम्मत के तालीम के लिये पढ़िये । 5 : इस से किताबत की फजीलत साबित हुई और दर हक़ीक़त किताबत में बड़े मनाफेअ हैं, किताबत ही से उलूम ज़ब्त में आते हैं, गुजरे हुए लोगों की ख़बरें और उन के अहवाल और उन के कलाम महफूज़ रहते हैं । किताबत न होती तो दीन व दुन्या के काम काइम न रह सकते । 6 : आदमी से मुराद यहां हज़रते आदम हैं और जो उन्हें सिखाया उस से मुराद "इल्मे अस्मा"। और एक कौल येह है कि इन्सान से मुराद यहां सय्यिदे आलम صلّی اللہ تعالٰی علیہ واٰلہ وسلّم.हैं कि आप को अल्लाह तआला ने जमीअ अश्या के उलूम अता फरमाए । (iv) 7 : या'नी गफलत का सबब दुन्या की महब्बत और माल पर तकब्बुर है। येह आयतें अबू जल के हक में नाज़िल हुई, उस को कुछ माल हाथ आ गया था तो उस ने लिबास और सुवारी और खाने पीने में तकल्लुफ़ात शुरूअ किये और उस का गुरूर और तकब्बुर बहुत बढ़ गया। 8 : या'नी इन्सान को येह बात पेशे नज़र रखनी चाहिये और समझना चाहिये कि उसे अल्लाह की तरफ़ रुजूअ करना है तो सरकशी व तुगयान और गुरूरो तकब्बुर का अन्जाम अज़ाब होगा। 9 शाने नुजूल : येह आयत भी अबू जल के हक में नाज़िल हुई उस ने नबिय्ये करीम  को नमाज़ पढ़ने से मन्अ किया था और लोगों से कहा था कि अगर मैं उन्हें ऐसा करता देखूगा तो (معاذاللہ) गरदन पाउं से कुचल डालूंगा और चेहरा ख़ाक में मिला दूंगा, फिर वोह इसी इरादए फ़ासिदा से हुजूर के नमाज़ पढ़ते में आया और हुजूर के करीब पहुंच कर उल्टे पाउं पीछे भागा हाथ आगे बढ़ाए हुए जैसे कोई किसी मुसीबत को रोकने के लिये हाथ आगे बढ़ाता है, चेहरे का रंग उड़ गया, आ'ज़ा कांपने लगे। लोगों ने कहा : क्या हाल है ? कहने लगा : मेरे और मुहम्मद (मुस्तफा   صلّی اللہ تعالٰی علیہ واٰلہ وسلّم. ) के दरमियान एक खन्दक है जिस में आग भरी हुई है और दहशत नाक परिन्द बाजू फैलाए हुए हैं । सय्यिदे आलम  صلّی اللہ تعالٰی علیہ واٰلہ وسلّم. ने फरमाया : अगर वोह मेरे करीब आता तो फ़िरिश्ते उस का उज्व उज्व जुदा कर डालते । 10 : नबिय्ये करीम  صلّی اللہ تعالٰی علیہ واٰلہ وسلّم. को 11 : ईमान लाने से 12 : अबू जल ने 13 : उस के फेल को, पस जज़ा देगा 14 : सय्यिदे आलम  صلّی اللہ تعالٰی علیہ واٰلہ وسلّم.  की ईजा और आप की तक्ज़ीब से । 15 : और उस को जहन्नम में डालेंगे। 16 शाने नुजूल : जब अबू जल ने नबिय्ये करीम  صلّی اللہ تعالٰی علیہ واٰلہ وسلّم. को नमाज़ से मन्अ किया तो हुजूर ने उस को सख्ती से झिडक दिया, इस पर उस ने कहा कि आप मुझे झिड़कते हैं, खुदा की क़सम मैं आप के मुकाबिल नौ जवान सुवारों और पैदलों से इस जंगल को भर दूंगा, आप जानते हैं कि मक्कए मुकर्रमा में मुझ से ज़ियादा बड़े जथ्थे और मजलिस वाला कोई नहीं है। 17 : या'नी अज़ाब के फ़िरिश्तों को । हदीस शरीफ़ में है कि अगर वोह अपनी मजलिस को बुलाता तो फ़िरिश्ते उस को बिल एलान गिरिफ़्तार करते । 18 : या'नी नमाज़ पढ़ते रहो ( तर्जुमा कंजुल ईमान हिंदी )

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